अस लोगन को बहि जाने दे हिंदी मीनिंग As Logan Ko Bahi Jane De Lyrics Meaning

अस लोगन को बहि जाने दे हिंदी मीनिंग As Logan Ko Bahi Jane De Lyrics Meaning

जहाँ कबीर साहेब सदैव ही जग कल्याण के लिए प्रेरित हैं, वहीँ पर कुछ स्थानों पर उन्होंने जगत को छोड़ कर आत्म कल्याण को महत्त्व दिया है। उन्होंने पाया की कुछ लोग समझाने पर नहीं समझते हैं, या फिर समझना ही नहीं चाहते हैं की उनके जीवन का उद्देश्य क्या है, वे कहाँ से आये हैं और कहाँ को जाने की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे लोगों के लिए साहेब साधक को ज्ञान देते हैं की तुम उनको उनके हाल पर छोड़ दो, यदि वे इस भव सागर में बह रहे हैं, नहीं समझ पा रहे हैं की वे पतन की ओर अग्रसर हैं तो तुम स्वंय पर ध्यान दो और मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करो। इस भजन का हिंदी अर्थ /मीनिंग निचे दिया गया है, अवश्य ही आपको पसंद आएगा। 
 
अस लोगन को बहि जाने दे हिंदी मीनिंग
 
भजन के बोल/लिरिक्स
बहि जाने दे, बहि जाने दे,
बहि जाने दे
अस लोगन को बहि जाने दे,
अस लोगन को बहि जाने दे।

हंस हंस मिलि चलो सरोवर
बकुलन मछली खाने दे,
अस लोगन को बहि जाने दे।

हंस गयन्द चलो मद माते
कूकर लोग भुकाने दे,
अस लोगन को बहि जाने दे।

हंस हंस मिलि चलो अमरपुर
कागा आमिष खाने दे,
अस लोगन को बहि जाने दे।

कहे कबीर सुनो भाई साधों,
सत्य शब्द में काने दे,
अस लोगन को बहि जाने दे।
 

"अस लोगन को बहि जाने दे कबीर भजन" का हिंदी अर्थ (हिंदी मीनिंग/हिंदी शब्दार्थ) As Logo Ko Bahi Jaane De Hindi Meaning (Kabir Bhajan)

बहि जाने दे, बहि जाने दे, बहि जाने दे : जो माया में लिप्त होकर माया का ही एक रूप बन चुके हैं, जो ज्ञान देने के बावजूद समझने को तैयार नहीं हैं, उनको अपने हाल पर छोड़ दो और यदि वे भव सागर में बह रहें हैं, तो उनको बहने दो। यहाँ पर यह उल्लेखनीय है की कबीर साहेब ने अपना सम्पूर्ण जीवन ही जगत कल्याण के लिए समर्पित किया है। हित तत्व ही परमात्मा का तत्व है। स्वंय के कल्याण को भी साहेब ने महत्त्व दिया है, यह कोई स्वंय की स्वार्थ सिद्धि का प्रकल्प नहीं है। 
 
अस लोगन को बहि जाने दे : ऐसे लोगों को (जो समझाने के उपरान्त भी नहीं समझ पा रहे हैं ) बह जाने दो। साहेब का संकेत है की जगत कल्याण आवश्यक है लेकिन तुम आत्म कल्याण को कम मत समझो। आत्म कल्याण नितांत व्यक्तिगत मामला है।
बहि : बह जाने दो, अस लोगन : ऐसे लोगों को।

हंस हंस मिलि चलो सरोवर : चेतन जीवात्मा एक साथ मिलकर एक साथ चलो।  
बकुलन मछली खाने दे : बगुलाओं को मछली का सेवन करने दो।
हिंदी अर्थ : बगुला मछली खाने में ही मस्त है, तुम हंस हो, मिलकर मानसरोवर की और अग्रसर हो जाओ। मोह और माया के भरम में पड़ी हुई जीवात्मा को अमूल्य मुक्ताफल दिखाई नहीं दे रहा है। सत्य का आश्रय लेकर घोर सांसारिकता से बचने का विकल्प तुम्हे ही चुनना है, क्योंकि सांसारिक क्रियाएं भक्ति मार्ग में बाधक हैं।
हंस हंस : हँस (चेतन जीवात्मा ), मिलि चलो : मिलकर चलो, सरोवर : मानसरोवर जहाँ हंस मुक्ताफल प्राप्त करता है। बकुलन : बगुला (विषय वासनाओं में लिप्त जीवात्मा)
मछली खाने दे : मछली से आशय तुच्छ सांसारिक कामनाएं हैं।

हंस गयन्द चलो मद माते कूकर लोग भुकाने दे : धर्म के मार्ग पर चलने के लिए सांसारिक लोगों का विरोध भी सहन करना पड़ता है, क्योंकि तुम प्रचलित बहु मान्य प्रथाओं, नियमों का उल्लंघन करते हो। यह माया का ही विरोध है। ऐसे लोगों को साहेब ने कुत्ते के समान बताया है और कहा है की उनको भौंकने दो तुम तो ऐसे चलो जैसे कोई मस्त अपनी मस्ती में चले जाता है। भक्ति मार्ग पर बढ़ने के लिए सामजिक विरोध की तरफ साहेब का इशारा है की लोग  भला बुरा कहेंगे लेकिन तुम अपने लक्ष्य की तरफ ध्यान रखो और आगे बढ़ो।
हंस : जीवात्मा (चेतन), गयन्द चलो मद माते : मस्त हाथी की तरह से।
कूकर : कुत्ते (घोर सांसारिक व्यक्ति), भुकाने दे : भौंकने दो।

हंस हंस मिलि चलो अमरपुर कागा आमिष खाने दे : हंस जीवात्मा एक साथ मिलकर अमरपुर के लिए चलो, मुक्ति के लिए चलो। कोआ अपने स्वभाव से गंदे प्रदार्थों का सेवन करता है, उसे करने दो, तुम अपने लक्ष्य पर ध्यान रखो। सांसारिक व्यक्तियों को विषय भोग में पड़े रहने दो, तुमको इन बातों पर विशेष ध्यान नहीं देना है।
अस लोगन को बहि जाने दे।
आमिष: मांसाहार, भोग्य, लुभावनी वस्तु, कामना; भोगेच्छा

कहे कबीर सुनो भाई साधों, सत्य शब्द में काने दे : अंत में कबीर साहेब वाणी देते हैं की हे शुद्ध जीवात्मा तुम लोगों पर नहीं, सांसारिक बातों पर नहीं सत्य शब्द पर अपना ध्यान केन्द्रित करो। उल्लेखनीय है की सांसारिक सत्य सदैव ही भक्ति मार्ग में सत्य नहीं होता है। जो गुरु की वाणी है उसी पर ध्यान केन्द्रित करो। 
काने दे : कान दो, ध्यान से सुनों.
 
भजन श्रेणी : कबीर भजन (Read More : Kabir Bhajan) 

कहत कबीर भजन नं. 22. अस लोगन को बहि जाने दे, गायक- संत श्री गौरव साहेब, श्री कबीर आश्रम किशनगढ़

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