रामजी से राम राम कहियो भजन नरेंद्र चंचल
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि,
बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन कुमार,
बल बुद्धि विद्या देहुं मोहिं हरहु कलेस विकार।
रामजी से राम राम कहियो,
कहियो जी हनुमान जी,
राम जी से राम राम कहियों,
कहियो जी हनुमान जी।
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर,
जय कपीस तिहुँ लोक उजाग़र
राम दूत अतुलित बल धामा,
अंजनी पुत्र पवनसुत नामा,
महाबीर बिक्रम बजरंगी,
कुमति निवार सुमति के संगी,
कंचन बरन बिराज सुबेसा,
कानन कुंडल कुञ्चित केसा,
राम जी से राम राम कहियो,
कहियो जी हनुमान जी,
ओ, राम जी से राम राम कहियों,
कहियो जी हनुमान जी।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे,
काँधे मूँज जनेउँ साजे,
शंकर सुवन केसरीनन्दन,
तेज प्रताप महा जग बन्दन,
बिद्यावान गुणी अति चातुर,
राम काज करिबे को आतुर,
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया,
राम लखन सीता मन बसिया,
राम लखन सीता मन बसियां,
राम जी से राम राम कहियो,
कहियो जी हनुमान जी,
ओ, राम जी से राम राम कहियों,
कहियो जी हनुमान जी।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा,
बिकट रूप धरि लंक जरावा,
भीम रूप धरि असुर संहारे,
रामचन्द्र के काज संवारे,
लाय संजीवन लखन जियाए,
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये,
रघुपति कीह्नी बहुत बड़ाई,
तुम मम प्रिय भरत सम भाई,
राम जी से राम राम कहियो,
कहियो जी हनुमान जी,
ओ, राम जी से राम राम कहियों,
कहियो जी हनुमान जी।
सहस बदन तुमरो जस गावै,
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावै,
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा,
नारद सारद सहित अहीसा,
जम कुबेर दिगपाल जहां तै,
कबि कोबिद कहि सके कहाँ तै,
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीह्ना,
राम मिलाय राज पद दीह्ना,
राम जी से राम राम कहियो,
कहियो जी हनुमान जी,
ओ, राम जी से राम राम कहियों,
कहियो जी हनुमान जी।
तुम्हरो मन्त्र बिभीषन माना,
लंकेश्वर भए सब जग जाना,
जुग सहस्र जोजन पर भानु,
लील्यो ताहि मधुर फल जानू,
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं,
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं,
दुर्गम काज जगत के जेते,
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेतै,
राम जी से राम राम कहियो,
कहियो जी हनुमान जी,
ओ, राम जी से राम राम कहियों,
कहियो जी हनुमान जी।
राम दुआरे तुम रखवारे,
होत न आज्ञा बिनु पैसारे,
सब सुख लहै तुम्हारी सरना,
तुम रच्छक काहू को डरना,
आपन तेज सह्मारो आपे,
तीनों लोक हाँक तें काँपे,
भूत पिसाच निकट नहिं आवे,
महाबीर जब नाम सुनावे,
राम जी से राम राम कहियो,
कहियो जी हनुमान जी,
ओ, राम जी से राम राम कहियों,
कहियो जी हनुमान जी।
नासै रोग हरै सब पीरा,
जपत निरन्तर हनुमत बीरा,
संकट तें हनुमान छुड़ावे,
मन क्रम बचन ध्यान जो लावे,
सब पर राम तपस्वी राजा,
तिन के काज सकल तुम साजा,
और मनोरथ जो कोई लावे,
सोई अमित जीवन फल पावे,
राम जी से राम राम कहियो,
कहियो जी हनुमान जी,
ओ, राम जी से राम राम कहियों,
कहियो जी हनुमान जी।
चारों जुग परताप तुम्हारा,
है परसिद्ध जगत उजियारा,
साधु सन्त के तुम रखवारे,
असुर निकन्दन राम दुलारे,
अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता,
अस बर दीन जानकी माता,
राम रसायन तुह्मरे पासा,
सदा रहो रघुपति के दासा,
राम जी से राम राम कहियो,
कहियो जी हनुमान जी,
ओ, राम जी से राम राम कहियों,
कहियो जी हनुमान जी।
तुम्हरे भजन राम को पावे,
जनम जनम के दुख बिसरावे,
अन्त काल रघुबर पुर जाई,
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई,
और देवता चित्त न धरई,
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई,
संकट कटै मिटै सब पीरा,
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा,
राम जी से राम राम कहियो,
कहियो जी हनुमान जी,
ओ, राम जी से राम राम कहियों,
कहियो जी हनुमान जी।
जय जय जय हनुमान गोसाई,
कृपा करहु गुरुदेव की नाई,
जो सत बार पाठ कर कोई,
छूटहि बन्दि महा सुख होई,
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा,
होय सिद्धि साखी गौरीसा,
तुलसीदास सदा हरि चेरा,
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा,
राम जी से राम राम कहियो,
कहियो जी हनुमान जी,
ओ, राम जी से राम राम कहियों,
कहियो जी हनुमान जी।
पवनतनय संकट हरन मंगल मूरति रूप,
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप।
SINGER: NARANDRA CHANCHAL
MUSIC DIRECTOR: SURINDER KOHLI
LYRICS: TRADITIONAL
ALBUM: HAMARE RAMJI KO RAM RAM KAHIYE
MUSIC LABEL: T-SERIES
जब प्रभु की कृपा भक्त पर बरसती है, तो वह स्वप्न में भी उनके दर्शन पाता है, और वह क्षण उसके जीवन को आलोकित कर देता है। उस रात का नजारा, जब प्रभु सामने खड़े होकर भक्त को अपनी झलक दिखाते हैं, वह अनुभव इतना जीवंत और पवित्र होता है कि भक्त उनके चरणों में लीन होकर सारी सांसारिक चिंताओं को भूल जाता है। प्रभु का वह सान्निध्य भक्त के हृदय को प्रेम और शांति से भर देता है, जैसे कोई मूर्ति जीवंत हो उठे। यह अनुभव भक्त को इस सत्य से जोड़ता है कि प्रभु सदा उसके साथ हैं, और उनकी एक झलक ही जीवन को सार्थक बना देती है।
प्रभु का गले लगाना और उनके मधुर वचन भक्त के सारे गिले-शिकवे मिटा देते हैं। वह प्रेममयी सान्निध्य भक्त को यह अहसास कराता है कि प्रभु के पास होने पर कोई दुख, कोई कमी शेष नहीं रहती। भक्त, जो जीवन भर प्रभु को चाहता और पूजता है, उनकी उस झलक से सुप्रभात का अनुभव करता है, जो उसके हृदय को आनंद और भक्ति से परिपूर्ण कर देता है। अतः, हे भक्तों, अपने हृदय में प्रभु के प्रति सच्चा प्रेम और श्रद्धा रखो, क्योंकि उनकी कृपा स्वप्न में भी तुम्हें दर्शन दे सकती है, और वह अनुभव तुम्हारे जीवन को सदा के लिए प्रकाशमय बना देगा।
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Author - Saroj Jangir
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