जय सिद्धिदात्री सिद्धिदात्री माता आरती
सृष्टि की शुरुआत में भगवान रुद्र ने प्रधानमंत्री शक्ति, आदिशक्ति, की आराधना की। माना जाता है कि आदिशक्ति का कोई निश्चित रूप नहीं था। तभी परम शक्ति, आदिशक्ति, ने माँ सिद्धिदात्री के रूप में भगवान शिव के बाएं आधे हिस्से से प्रकट होकर सृष्टि की रचना संभाली।नवरात्रि के नौवें दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा होती है। ऐसा माना जाता है कि वे ग्रह केतु को ऊर्जा और मार्गदर्शन प्रदान करती हैं, इसलिए ग्रह केतु उनकी शक्ति के अधीन है। माँ सिद्धिदात्री कमल के फूल पर विराजमान होती हैं और उनका वाहन सिंह होता है। उनके चार हाथ होते हैं, जिनमें गदा, चक्र, कमल का फूल और शंख होते हैं। वे सभी प्रकार की सिद्धियाँ अपने भक्तों को प्रदान करती हैं। भगवान शिव भी माँ सिद्धिदात्री की कृपा से सभी सिद्धियाँ प्राप्त कर अर्धनारीश्वर रूप में समाहित हुए। उनके भक्तों में देवता, दैत्य, यक्ष और सिद्ध भी शामिल हैं।सिद्धिदात्री के बीज मंत्र और विभिन्न स्तुतियाँ उनके सम्मान में खूब गाई जाती हैं। मां सिद्धिदात्री की पूजा से भक्तों को लाभ, सिद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
जय सिद्धिदात्री , ॐ जय सिद्धिदात्री
सर्व सुखों की जननी , रिद्धि सिद्धिदात्री
ॐ जय सिद्धिदात्री ..........................
अणिमा गरिमा लघिमा , सिद्धि तिहारे हाथ
तू अविचल महामाई , त्रिलोकी की नाथ
ॐ जय सिद्धिदात्री ..........................
शुम्भ निशुम्भ विडारे , जग है प्रसिद्ध गाथा
सहस्त्र भुजा तनु धरके , चक्र लियो हाथा
ॐ जय सिद्धिदात्री ..........................
तेरी दया बिन रिद्धि , सिद्धि ना हो पाती
सुख समृद्धि देती , तेरी दया दाती
ॐ जय सिद्धिदात्री ..........................
दुःख दारिद्र विनाशनी , दोष सभी हरना
दुर्गुणों को संघारके , पावन माँ करना
ॐ जय सिद्धिदात्री ..........................
नवदुर्गों में मैया , नवम तेरा स्थान
नौवे नवरात्रे को , करें तेरा सब ध्यान
ॐ जय सिद्धिदात्री ..........................
तुम ही जग की माता , तुम ही हो भरता
भक्तन की दुःख हरता , सुख सम्पत्ति करता
ॐ जय सिद्धिदात्री ..........................
अगर कपूर की ज्योति , आरती हम गायें
छोड़ के तेरा द्वारा , और कहाँ जायें
ॐ जय सिद्धिदात्री ..........................
सिद्धिदात्री हे माता , सब दुर्गुण हरना
अपना जान के मैया , हमपे कृपा करना
ॐ जय सिद्धिदात्री ..........................
जय सिद्धिदात्री , ॐ जय सिद्धिदात्री
सर्व सुखों की जननी , रिद्धि सिद्धिदात्री
ॐ जय सिद्धिदात्री ..........................
सर्व सुखों की जननी , रिद्धि सिद्धिदात्री
ॐ जय सिद्धिदात्री ..........................
अणिमा गरिमा लघिमा , सिद्धि तिहारे हाथ
तू अविचल महामाई , त्रिलोकी की नाथ
ॐ जय सिद्धिदात्री ..........................
शुम्भ निशुम्भ विडारे , जग है प्रसिद्ध गाथा
सहस्त्र भुजा तनु धरके , चक्र लियो हाथा
ॐ जय सिद्धिदात्री ..........................
तेरी दया बिन रिद्धि , सिद्धि ना हो पाती
सुख समृद्धि देती , तेरी दया दाती
ॐ जय सिद्धिदात्री ..........................
दुःख दारिद्र विनाशनी , दोष सभी हरना
दुर्गुणों को संघारके , पावन माँ करना
ॐ जय सिद्धिदात्री ..........................
नवदुर्गों में मैया , नवम तेरा स्थान
नौवे नवरात्रे को , करें तेरा सब ध्यान
ॐ जय सिद्धिदात्री ..........................
तुम ही जग की माता , तुम ही हो भरता
भक्तन की दुःख हरता , सुख सम्पत्ति करता
ॐ जय सिद्धिदात्री ..........................
अगर कपूर की ज्योति , आरती हम गायें
छोड़ के तेरा द्वारा , और कहाँ जायें
ॐ जय सिद्धिदात्री ..........................
सिद्धिदात्री हे माता , सब दुर्गुण हरना
अपना जान के मैया , हमपे कृपा करना
ॐ जय सिद्धिदात्री ..........................
जय सिद्धिदात्री , ॐ जय सिद्धिदात्री
सर्व सुखों की जननी , रिद्धि सिद्धिदात्री
ॐ जय सिद्धिदात्री ..........................
2
जय सिद्धिदात्री~तू सिद्धि की दाता~
तू भक्तों की रक्षक~तू दासों की माता।।
तेरा नाम लेते ही~मिलती है सिद्धि~
तेरे नाम से~मन की होती है शुद्धि।।
कठिन काम सिद्ध कराती हो तुम~
जब भी हाथ सेवक के~सर धरती हो तुम।।
तेरी पूजा में तो~न कोई विधि है~
तू जगदम्बे दाती~तू सर्वसिद्धि है।।
रविवार को तेरा~स्मरण करे जो~
तेरी मूर्ति को ही~मन में धरे जो।।
तुम सब काज उसके~कराती हो पूरे~
कभी काम उसके~रहे न अधूरे।।
तुम्हारी दया और~तुम्हारी यह माया~
रखे जिसके सर पर~मैया अपनी छाया।।
सर्वसिद्धि दाती~वो है भाग्यशाली~
जो है तेरे दर का ही~अंबे सवाली।।
हिमाचल है पर्वत~जहाँ वास तेरा~
महा नंदा मंदिर में~है वास तेरा।।
मुझे आसरा है~तुम्हारा ही माता~
वंदना है सवाली~तू जिसकी दाता।।
तू भक्तों की रक्षक~तू दासों की माता।।
तेरा नाम लेते ही~मिलती है सिद्धि~
तेरे नाम से~मन की होती है शुद्धि।।
कठिन काम सिद्ध कराती हो तुम~
जब भी हाथ सेवक के~सर धरती हो तुम।।
तेरी पूजा में तो~न कोई विधि है~
तू जगदम्बे दाती~तू सर्वसिद्धि है।।
रविवार को तेरा~स्मरण करे जो~
तेरी मूर्ति को ही~मन में धरे जो।।
तुम सब काज उसके~कराती हो पूरे~
कभी काम उसके~रहे न अधूरे।।
तुम्हारी दया और~तुम्हारी यह माया~
रखे जिसके सर पर~मैया अपनी छाया।।
सर्वसिद्धि दाती~वो है भाग्यशाली~
जो है तेरे दर का ही~अंबे सवाली।।
हिमाचल है पर्वत~जहाँ वास तेरा~
महा नंदा मंदिर में~है वास तेरा।।
मुझे आसरा है~तुम्हारा ही माता~
वंदना है सवाली~तू जिसकी दाता।।
भजन श्रेणी : माता रानी भजन (Read More : Mata Rani Bhajan)
नवरात्रि Special I माँ सिद्धिदात्री की आरती I Maa Siddhidatri Aarti
Jay Siddhidaatri , Om Jay Siddhidaatri
Sarv Sukhon Ki Janani , Riddhi Siddhidaatri
Om Jay Siddhidaatri ..........................
Sarv Sukhon Ki Janani , Riddhi Siddhidaatri
Om Jay Siddhidaatri ..........................
सिद्धिदात्री माता दुर्गा का नौवां रूप हैं, जिन्हें सभी प्रकार की सिद्धियाँ देने वाली देवी माना जाता है। माँ सिद्धिदात्री की पूजा नवरात्रि के नौवें दिन की जाती है और उनकी कृपा से भक्त को अष्ट सिद्धियाँ (जैसे अणिमा, महिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, गरिमा, लघिमा, ईशित्व, वशित्व) प्राप्त होती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने माँ सिद्धिदात्री की आराधना कर ये सभी सिद्धियाँ प्राप्त की थीं, और इसी कारण वे अर्धनारीश्वर के रूप में विख्यात हुए। उनकी चार भुजाओं में कमल, गदा, चक्र और शंख होते हैं, और उनका वाहन सिंह है। माँ सिद्धिदात्री की उपासना से जीवन में सफलता, समृद्धि, शांति, और मानसिक-शारीरिक स्वास्थ्य प्राप्त होता है, साथ ही भक्तों को जीवन के कष्टों से मुक्ति और आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है। उनकी पूजा में माया और अज्ञानता का विनाश होता है तथा भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति का वरदान मिलता है।
Kavacha
ॐकारः पातु शीर्षो माँ, ऐं बीजम् माँ हृदयो।
हीं बीजम् सदापातु नभो गृहो च पादयो॥
ललाट कर्णो श्रीं बीजम् पातु क्लीं बीजम् माँ नेत्रम् घ्राणो।
कपोल चिबुको हसौ पातु जगत्प्रसूत्यै माँ सर्ववदनो॥
ॐकारः पातु शीर्षो माँ, ऐं बीजम् माँ हृदयो।
हीं बीजम् सदापातु नभो गृहो च पादयो॥
ललाट कर्णो श्रीं बीजम् पातु क्लीं बीजम् माँ नेत्रम् घ्राणो।
कपोल चिबुको हसौ पातु जगत्प्रसूत्यै माँ सर्ववदनो॥
कञ्चनाभा शङ्खचक्रगदापद्मधरा मुकुटोज्वलो।
स्मेरमुखी शिवपत्नी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥
पटाम्बर परिधानां नानालङ्कार भूषिताम्।
नलिस्थिताम् नलनार्क्षी सिद्धीदात्री नमोऽस्तुते॥
परमानन्दमयी देवी परब्रह्म परमात्मा।
परमशक्ति, परमभक्ति, सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥
विश्वकर्ती, विश्वभर्ती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता।
विश्व वार्चिता, विश्वातीता सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥
भुक्तिमुक्तिकारिणी भक्तकष्टनिवारिणी।
भवसागर तारिणी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥
धर्मार्थकाम प्रदायिनी महामोह विनाशिनीं।
मोक्षदायिनी सिद्धीदायिनी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥
यह भजन भी देखिये
Singer - Deepak Jain (8076742272)
Lyrics - Traditional
Composition - Traditional
Music - Tarun Arun Prajapati
Video - Sanjeev Kumar (Motion FX Studio)
Presented By - KIRTAN YUG
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Composition - Traditional
Music - Tarun Arun Prajapati
Video - Sanjeev Kumar (Motion FX Studio)
Presented By - KIRTAN YUG
