हनुमान जी के बारह नाम अर्थ जाप का महत्त्व Hanuman 12 Names Hindi Meaning
हनुमान जी आठ सिद्धियां और नौ निधियों के दाता हैं । हनुमान जी अपने भक्तों से बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। हनुमान जी के इन बारह नामों का पाठ करने से हमें दसों दिशाओं और आकाश- पाताल से भी आशीर्वाद प्राप्त होता है । हनुमान जी के इन नामों का पाठ करने के सभी सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है और ग्रह दोष का निवारण होता है। रामचरितमानस में कहा गया है कि कलयुग में हनुमान जी के नाम का स्मरण करने मात्र से ही प्राणी को सांसारिक सुखों की प्राप्ति होगी और वह भवसागर से पार हो जायेगा। रामचरितमानस में कहा गया है,
"कलयुग केवल नाम आधारा सुमिरि-सुमिरि नर उतर ही पारा"
हनुमान जी के बारह नाम और उनका अर्थ :
1. हनुमान (Hanuman) : हनुमान का अर्थ होता है अहंकार का हनन करना। हनुमान नाम दो शब्दों से मिलकर बना है हनु जिसका अर्थ होता है हनन करना और मान जिसका मतलब होता है अहंकार अथार्त जिसने अहंकार का हनन कर लिया हो उसे हनुमान कहते हैं। हनुमान जी को अहंकार नहीं था, हनुमान जी तो श्री राम के अनन्य भक्त थे। इसके अलावा हनुमान एक संस्कृत का शब्द है संस्कृत में हनु का अर्थ होता है ठोड़ी का बिगड़ा हुआ होना। एक कथा के अनुसार भगवान इंद्र ने अपने वज्र के प्रहार से उनके चेहरे पर वार किया था जिससे उनकी ठोड़ी बिगड़ गई थी इसलिए भी उन्हें हनुमान जी कहते हैं।
2. अंजनी सुत (Anjani Sut) : हनुमान जी का दूसरा नाम है अंजनी सुत । अंजनी उनकी माता का नाम है और सुत का अर्थ होता है पुत्र अथार्त माता अंजनी के पुत्र। हनुमान जी की माता अंजनी थी इसलिए उन्हें अंजनी सुत भी कहते हैं।
पवन पुत्र: हनुमान जी को पवन पुत्र भी कहते हैं क्योंकि उनके पिता पवन देव हैं अर्थात वायु देव । उनको वायु पुत्र भी कहा जाता है।
3 महाबल (Mahabal) : हनुमान जी को महाबल या महाबली भी कहते हैं। हनुमान जी बहुत ही बलशाली है। उन्होंने संजीवनी बूटी के लिए एक हाथ से विशाल पहाड़ को उठा लिया था और एक छलांग में ही समुद्र को पार कर लिया था। इसलिए उन्हें महाबल या महाबली भी कहा जाता है।
5 रामेष्ठ (Rameshtha) : हनुमान जी श्री राम के अनन्य भक्त थे और श्री राम को भी हनुमान जी बहुत प्रिय थे इसलिए उन्हें रामेष्ठ भी कहा जाता है।
6. फाल्गुन सखा (Falgun Sakha): हनुमान जी को फाल्गुन सखा भी कहा जाता है। यहां फाल्गुन से आशय है अर्जुन और हनुमान जी अर्जुन के मित्र हैं। इसलिए इन्हें फाल्गुन सखा भी कहा गया है।
7 पिंगाक्ष (Pingaksha): हनुमान जी को पिंगाक्ष भी कहते हैं। पिंगाक्ष का अर्थ होता है भूरे नेत्र वाला अर्थात भूरी आंखों वाला । हनुमान जी की आंखें भूरी हैं इसलिए उन्हें पिंगाक्ष भी कहते हैं।
8 अमित विक्रम (Amit Vikram): हनुमान जी को अमित विक्रम भी कहते हैं अमित विक्रम का अर्थ होता है वीरता की साक्षात मूर्ति। हनुमान जी बहुत ही वीर और बलशाली थे। इसलिए उन्हें वीर हनुमान भी कहा गया है।
9 उदधि क्रमण (Udadhi Kramana) : हनुमान जी को उदधि क्रमण भी कहते हैं क्योंकि हनुमान जी ने उदधि अथार्त समुद्र को लांघा था। जब हनुमान जी माता सीता को ढूंढ रहे थे, तब उन्हें लंका जाने के लिए समुद्र को लांघना पड़ा था। उन्होंने एक छलांग में ही समुंद्र को पार कर लिया था। इसीलिए उन्हें उदधि क्रमण भी कहते हैं।
10 सीता शोक विनाशन (Sita Shok Vinashan): हनुमान जी ने माता सीता के शोक का नाश किया था। माता सीता के वियोग काल में श्रीराम का संदेश माता सीता तक पहुंचा कर उनका शौक दूर किया था। इसीलिए भगवान हनुमान को सीता शोक विनाशन भी कहा जाता है।
11 लक्ष्मण प्राण दाता (Lakshman Pran Data) : हनुमान जी को लक्ष्मण प्राण दाता भी कहा गया है। जब लक्ष्मण जी मूर्छित हो गए थे तब हनुमान जी संजीवनी बूटी लेकर आए और लक्ष्मण जी को जीवित किया था । इसीलिए उनको लक्ष्मण प्राण दाता भी कहा गया है।
12 दशग्रीव दर्पहा (Dashgreev Darpaha): भगवान हनुमान को दशग्रीव दर्पहा भी कहा गया है। हनुमान जी ने रावण के घमंड को दूर किया था। इसलिए उन्हें दशग्रीव दर्पहा कहा गया है।
आनन्द रामायण में बताए गए हनुमानजी के ये 12 नाम इस प्रकार हैं :
हनुमानञ्जनीसूनुर्वायुपुत्रो महाबल:। रामेष्ट: फाल्गुनसख: पिङ्गाक्षोऽमितविक्रम:।।
उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशन:। लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।।
एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन:। स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च य: पठेत्।।
तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भेवत्। राजद्वारे गह्वरे च भयं नास्ति कदाचन।।
हनुमानजी के बारह नामों का पाठ ऐसे करें:
1. ॐ हनुमते नमः
2. ॐ अञ्जनीसुताय नमः
3. ॐ वायुपुत्राय नमः
4. ॐ महाबलाय नमः
5. ॐ रामेष्टाय नमः
6. ॐ फाल्गुनसखाय नमः
7. ॐ पिङ्गाक्षाय नमः
8. ॐ अमितविक्रमाय नमः
9. ॐ उदधिक्रमणाय नमः
10. ॐ सीताशोकविनाशनाय नमः
11. ॐ लक्ष्मणप्राणदाताय नमः
12. ॐ दशग्रीवस्य दर्पाय नमः
हनुमान जी के नाम का पाठ करने का समय और उससे प्राप्त होने वाले फल
- हनुमान जी के बारह नामों का नित्य नियम से पाठ करने से मनोकामना पूर्ण होती हैं।
- प्रातः काल उठते ही हनुमान जी के बारह नामों का 11 बार पाठ करने वाला व्यक्ति दीर्घायु होता है।
- दोपहर के समय हनुमान जी के बारह नामों के पाठ करने से लक्ष्मी जी की प्राप्ति होती हैं। धन-धान्य की वृद्धि होती है और घर में संपन्नता रहती हैं।
- संध्याकाल हनुमान जी के बारह नामों का पाठ करने से पारिवारिक सुखों की प्राप्ति होती है ।
- रात को सोते समय हनुमान जी के बारह नामों का जाप करने से शत्रु का नाश होता है।
हनुमान जी के अन्य नाम और उनके हिंदी में अर्थ
अंजनी :माता अंजना के पुत्र होने के कारण से ही हनुमान जी को अंजनी कहा जाता है।
केसरी नंदन- श्री हनुमान जी केसरी के पुत्र हैं।
बजरंगबली : हनुमान जी दिव्य और विशाल शक्तियों के स्वामी हैं। शारीरिक बल के कारण हनुमान जी को बजरंग बलि कहा जाता है। श्री हनुमान जी की देह बज्र के समान कठोर और मजबूत है, बलशाली होने के कारण इन्हे बजरंग बलि कहा जाता है।
कलानेमि : कलानेमी असुर को मारने वाले श्री हनुमान जी।
कराग्रहविमोक्त्रे- जो कारागृह से मुक्त करने वाले हैं।
लंकिनी भंजना- लंकिनी का वध करने वाले।
लोकपूज्य- लोगों के द्वारा जिनकी पूजा की जाती है।
मारुति- पवन देवता के पुत्र होने के कारण हनुमान जी को मारुती/मारुती नंदन कहा जाता है।
दीनबन्धवे : श्री हनुमान जी कमजोर और हारे हुए जीवों की रक्षा करते हैं। दरिद्र के सहाय होने के कारण इनको दीनबंधवे कहा जाता है।
हरिमर्कट मर्कट- वानरों, बंदरों के स्वामी।
कलनभा : श्री बालाजी महाराज अमर हैं, इसलिए ये कलनभा कहलाते हैं।
महाधातु : दिव्य शक्तियों के धनि महान व्यक्तित्व के कारण श्री हनुमान जी को महाधातु कहा जाता है।
मनोजव: श्री हनुमान जी की गति मन की गति से भी तीव्र है, मन की चंचलता से भी अधिक तेज होने के कारण श्री हनुमान जी को मनोजव के नाम से पुकारा जाता है।
पवनपुत्र- पवन देव के पुत्र हैं श्री हनुमान जी इसीलिए इनको पवनपुत्र कहा जाता है।
रामभक्त- श्री हनुमान जी श्री राम जी के परम भक्त और सेवक हैं। श्री राम जी के विश्वास पात्र होने के कारण इन्हे राम भक्त कहते हैं।
सर्वमायाविभंजना : श्री हनुमान जी जीव के सभी भ्रमों का नाश करने वाले, भंजन करने वाले हैं, इसलिए इन्हे सर्वमायाविभंजना कहा जाता है।
रामदूता- श्री राम जी के सदेश को माता सीता को पंहुचाने के कारण इनका नाम राम दूत पड़ा है।
संजीवननगाहत्रे- हनुमान जी संजीवनी के पहाड़ को अपने कन्धों पर उठाकर लेकर आए थे इसलिए इनको संजीवननगाहत्रे कहा जाता है। लक्ष्मण जब शक्ति बाण के कारण मूर्छित हो गए थे तो श्री हनुमानजी संजीवनी बूंटी लेकर आये थे। उन्हें बूंटी के बारे में पता नहीं होने के कारण वे पूरा पहाड़ ही उठाकर ले आए।
सर्वरोगहरा- श्री हनुमान जी सभी बीमारियों और विकारों का अंत करने वाले हैं, इसलिए इनको सर्वरोगहरा भी कहते हैं।
शूरा- अत्यधिक वीर और पराक्रमी होने के कारण श्री बजरंग बलि को शूरा कहा जाता है।
वाग्मीन- श्री हनुमान जी वाक्पटु हैं, बेहतरीन वक्ता हैं इसलिए इनको वागमीन भी कहा जाता है।
वर्धिमनकापूजीता : हनुमान जी की पूजा मेनका के द्वारा की जाने पर ही हनुमान जी को वर्धिमनकापूजीता कहते हैं।
विजयेन्द्रिय : श्री हनुमान जी अपनी इन्द्रियों पर विजय प्राप्त कर चुके हैं इसलिए विजयेन्द्रिय कहलाते हैं।
सर्वदुखहारा : श्री हनुमान जी सभी दुखों का अंत करने वाले हैं इस कारण से सर्व दुःख हारा कहलाते हैं।
वज़रानखा : वज्र के समान बहुत ही मजबूत नाखून होने के कारण, इन्हे वजरानखा कहते हैं।
मांरूतात्माजा : श्री हनुमान जी के पिता वायु देव हैं इसलिए वायु देवता के पुत्र होने के कारण श्री हनुमान को मांरूतात्माजा कहते हैं।
महाकाय : श्री हनुमान अत्यधिक बलशाली हैं और विशाल काया को धारण करने के कारण इन्हे महाकाय कहते हैं।
कुमारब्रह्मचारिन- युवा और ब्रह्मचारी होने के कारण हनुमान जी को कुमारब्रह्मचारिन कहते हैं।
कपीश्वर- श्री हनुमान जी वानरों (बन्दर) के ईश्वर हैं इसलिए इन्हे कपीश्वर कहा जाता है।
दीनबंधुवा- दरिद्र जनों की सहाय करने के कारण श्री हनुमान जी को दीनबंधू कहा जाता है।
चतुर्भुव- चार प्रकार के शास्त्रों को धारण करने के कारण हनुमान जी को चतुर्भुव कहते हैं।
भीमसेनासाहायकृते- श्री हनुमान भीम की सहायता करने वाले हैं।
बलभीम- जो बल में बहुत अधिक हैं।
विभीषण प्रियकारा- जो विभीषण के द्वारा उच्च माने गए हैं।
कामरूपिन : जो अपनी इच्छा के अनुसार अपना रूप परिवर्तन कर ले।
सुग्रीव सचिवा- श्री हनुमान जी जो सुग्रीव के मंत्री हैं।
प्रतापवत : जो सर्वोच्च बहादुर हैं।
अंजनगर्भसमभूता- जिनकी माता अंजनी हैं, जो अंजनी के गर्भ से उत्पन हुए हैं।
अशोकावाणिकचित्रे- हनुमान जी ने अशोक वाटिका को उजाड़ दिया था, नष्ट कर दिया था।
अक्षांत्र्रे - अक्षय को मारने वाले, हनुमान।
भविष्य चतुराना- जो भविष्य के प्रति जागरूक हो।
दशभवे - हनुमान जी के पास दस शस्त्र हैं।
धीरा : महान साहसी।
दैत्यकुलान्तक- दानवों के वंश का नाश करने वाले।
दैत्य कार्या : दैत्य के कुल को समाप्त करने वाले।
धचता व्रता : वीर हनुमान कठोर अनुशाशन का पालन करने वाले हैं।
गंधर्व विद्या तत्वांगना- जो आकाशीय प्राणियों की कलाओं में माहिर है।
हनुमंता- जिनके गाल फुले हुए हैं।
कबालिकृता- जिन्होनें सूरज को खा लिया था, निगल लिया था।
कपिसेनानायका- वानरों की सेना के नायक/प्रमुख।
महात्मने- जिनकी महिमा सबसे ऊँची है।
महावीर- जो महान वीर हैं।
महाबल परिक्रमा- जो अत्यंत बल के धनि हैं।
प्रागन्य- जो बहुत ही महान विद्वान हैं।
प्रसन्नात्मने- श्री हनुमान जी हंसमुख स्वभाव वाले हैं।
परविद्या परिहार- जो का ज्ञान नष्ट कर देते हैं।
पिंगलक्ष- जिनकी आँखें गुलाबी या भूरी हैं।
पंचवक्त्र- श्री हनुमान जी के पांचों मुंह एक समान हैं।
संकटमोचन- सभी संकट और बाधाओं का हरन करने वाले।
सर्वलोकचारिन- समस्त ब्रह्माण्ड में यात्रा करने में सक्षम।
सर्वग्रहघरा- समस्त रोग दोष का अंत करने वाले।
सागरोथरका- श्री हनुमान जो समुद्र में छलांग लगा कर पार कर जाते हैं।
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भजन श्रेणी : हनुमान भजन (Hanuman Bhajan)
Author - Saroj Jangir
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