सुन्दर सज़ा दरबार मैया भजन
सुन्दर सज़ा दरबार मैया का मैं दीवानी हो गई भजन
(मुखड़ा)
सुन्दर सज़ा दरबार मैया का,
मैं दीवानी हो गई,
मैं दीवानी हो गई, मैया,
मैं दीवानी हो गई,
प्यारा सज़ा दरबार मैया का,
मैं दीवानी हो गई।
(अंतरा 1)
नवरात्रि का त्योहार आया,
भक्त करे तेरा इंतज़ार,
नव दिन मैया का आना और,
मैं दीवानी हो गई,
सुन्दर सज़ा दरबार मैया का,
मैं दीवानी हो गई।
(अंतरा 2)
सिर पे मैया सोने का टीका,
हाथों में कंगना है सज़ा,
कानों में झुमके की लटकन,
मैं दीवानी हो गई,
सुन्दर सज़ा दरबार मैया का,
मैं दीवानी हो गई।
(अंतरा 3)
हे अंबे तेरी लाल चुनरिया,
जिसपे गोटा है लगा,
मैया को चुनरी ओढ़ाना,
मैं दीवानी हो गई,
सुन्दर सज़ा दरबार मैया का,
मैं दीवानी हो गई।
(अंतरा 4)
करती दुर्गे शेर सवारी,
हाथ में त्रिशूल धरा,
ऊँचे पर्वत भवन मैया का,
मैं दीवानी हो गई,
सुन्दर सज़ा दरबार मैया का,
मैं दीवानी हो गई।
(अंतरा 5)
मैया ने चण्ड-मुण्ड को मारा,
महिषासुर का सिर कटा,
दुष्टों का यूँ अंत करना,
मैं दीवानी हो गई,
सुन्दर सज़ा दरबार मैया का,
मैं दीवानी हो गई।
(अंतरा 6)
छत्र, नारियल भेट मैया की,
उसपे तेरी लाल ध्वजा,
भक्तों का जयकारे लगाना,
मैं दीवानी हो गई,
सुन्दर सज़ा दरबार मैया का,
मैं दीवानी हो गई।
(अंतरा 7)
नौमी में जीमे नौ कन्याएं,
संग में है लंगुरिया,
पूड़ी-हलवे का भोग लगाना,
मैं दीवानी हो गई,
सुन्दर सज़ा दरबार मैया का,
मैं दीवानी हो गई।
(अंतरा 8)
सांची प्रीत है मैया तुम्हारी,
तुम ही हो माता मेरी,
माँ-बेटी का रिश्ता पुराना,
मैं दीवानी हो गई,
सुन्दर सज़ा दरबार मैया का,
मैं दीवानी हो गई।
(पुनरावृत्ति)
सुन्दर सज़ा दरबार मैया का,
मैं दीवानी हो गई,
मैं दीवानी हो गई, मैया,
मैं दीवानी हो गई,
प्यारा सज़ा दरबार मैया का,
मैं दीवानी हो गई।
सुन्दर सज़ा दरबार मैया का,
मैं दीवानी हो गई,
मैं दीवानी हो गई, मैया,
मैं दीवानी हो गई,
प्यारा सज़ा दरबार मैया का,
मैं दीवानी हो गई।
(अंतरा 1)
नवरात्रि का त्योहार आया,
भक्त करे तेरा इंतज़ार,
नव दिन मैया का आना और,
मैं दीवानी हो गई,
सुन्दर सज़ा दरबार मैया का,
मैं दीवानी हो गई।
(अंतरा 2)
सिर पे मैया सोने का टीका,
हाथों में कंगना है सज़ा,
कानों में झुमके की लटकन,
मैं दीवानी हो गई,
सुन्दर सज़ा दरबार मैया का,
मैं दीवानी हो गई।
(अंतरा 3)
हे अंबे तेरी लाल चुनरिया,
जिसपे गोटा है लगा,
मैया को चुनरी ओढ़ाना,
मैं दीवानी हो गई,
सुन्दर सज़ा दरबार मैया का,
मैं दीवानी हो गई।
(अंतरा 4)
करती दुर्गे शेर सवारी,
हाथ में त्रिशूल धरा,
ऊँचे पर्वत भवन मैया का,
मैं दीवानी हो गई,
सुन्दर सज़ा दरबार मैया का,
मैं दीवानी हो गई।
(अंतरा 5)
मैया ने चण्ड-मुण्ड को मारा,
महिषासुर का सिर कटा,
दुष्टों का यूँ अंत करना,
मैं दीवानी हो गई,
सुन्दर सज़ा दरबार मैया का,
मैं दीवानी हो गई।
(अंतरा 6)
छत्र, नारियल भेट मैया की,
उसपे तेरी लाल ध्वजा,
भक्तों का जयकारे लगाना,
मैं दीवानी हो गई,
सुन्दर सज़ा दरबार मैया का,
मैं दीवानी हो गई।
(अंतरा 7)
नौमी में जीमे नौ कन्याएं,
संग में है लंगुरिया,
पूड़ी-हलवे का भोग लगाना,
मैं दीवानी हो गई,
सुन्दर सज़ा दरबार मैया का,
मैं दीवानी हो गई।
(अंतरा 8)
सांची प्रीत है मैया तुम्हारी,
तुम ही हो माता मेरी,
माँ-बेटी का रिश्ता पुराना,
मैं दीवानी हो गई,
सुन्दर सज़ा दरबार मैया का,
मैं दीवानी हो गई।
(पुनरावृत्ति)
सुन्दर सज़ा दरबार मैया का,
मैं दीवानी हो गई,
मैं दीवानी हो गई, मैया,
मैं दीवानी हो गई,
प्यारा सज़ा दरबार मैया का,
मैं दीवानी हो गई।
माता रानी का सुन्दर भजन | सुन्दर सजा दरबार मइया का | Sundar Saja Darbar Maiya Ka
Album: Mata Ke Bhajan
Singer : Kamlesh Mishra
Lyrics : Vishesh
Label : Brijwani Cassettes