पगली-कांवड़ की महिमा लखबीर सिंह लक्खा भजन

पगली-कांवड़ की महिमा लिरिक्स लखबीर सिंह लक्खा Pagali Kavad Ki Mahima Lyrics Lakhbir Singh Lakkha Bhajan

 
पगली-कांवड़ की महिमा लिरिक्स लखबीर सिंह लक्खा Pagali Kavad Ki Mahima Lyrics

सुनिये सुना रहा हूं एक दास्तान है,
सावन का महीना बड़ा पावन महान है,
सुनिए सुना रहा हूँ एक दास्तान है,
सावन का महीना बड़ा पावन महान है,
लाखों कावड़िया जाते हैं श्री बाबा धाम को,
जपते हुए उमंग में बम-बम के नाम को,
इकलोता बेटा बाप का माता का नो निहाल,
कांवड़ चढ़ाने के लिए वो भी चला एक साल,
उसकी पत्नी बोली कि आपके संग में भी जाऊंगी,
कांवड़ आपके साथ में जाकर चढ़ाउंगी,
खुशियो में झूमते हुए वो दोनों चल पड़े,
भोले को जल चढाने के लिए घर से निकल पड़े,
सुल्तान गंज पहुँच कर जहाँ से जल भरा जाता है,
गंगा के किनारे खुश होकर देखने लगे मेले के नज़ारे,
पति बोला आ रहा हूँ में स्नान कर अभी फिर पीछे तू नहाना,
आ जाऊँ में जभी और कूद पड़ा गंगा जी में डुबकी लगाया,
फिर वो लौट कर वहाँ वापस नहीं आया,
पत्नी को छोड़ अकेली गया संसार में,
वो बह गया श्री गंगा जी की बीच धार में,
चारों तरफ में जैसे एकचीत्कार मच गया,
गंगा के किनारे में हा-हाकार मच गया,
पत्नी पछाड़ खाती थी रोती थी ज़ार ज़ार,
की भोले तूने लूट लिया मेरा सोने का संसार।
कावड़ चढ़ाने आये थे खुशियो में झूमते,
कावड़ चढ़ाने आए थे खुशियो में झूमते,
पर लुट गई अब भोले जी अब तेरे द्वार में,
लो संभालो प्रभु अपनी कावड़,
लुट गई में अभागन यहाँ पे,
लो संभालो भोले अपनी कावड़,
लुट गई में अभागन यहाँ पे।

लूट लिया तुमने मेरे सोने से संसार को,
कर दिया वीरान महकते हुए गुलज़ार को,
कौन कह रहा है के तू दानी दयावान है,
दिन और निर्बल पर सदा रहता मेहरबान है,
आज सभी बात तेरी मेने लिया जान है,
बस निर्दई कठोर है पत्थर का तू भगवान है,
उठ गया विश्वास मेरा आज तेरे नाम से,
क्या कहूँगी दुनियाँ को जा करके तेरे धाम से,
में भी चली जाऊँगी दुनियां से नाता तोड़कर,
अब यही मर जाऊँगी पत्थ से सर को फोड़ कर,
तब देख के उस दुखिया को सब लोग तरस खाते थे,
कोई देता था तसल्ली और कई समझाते थे,
पर नहीं था उसको अपनी दिन और दुनिया का ख़याल,
फाड़ती थी तन के कपड़े नोचती थी सर के बाल,
और फिर कभी कहती थी भोले झूठ तेरा नाम है,
दिन और दुखियो के आता नही काम है।
लो संभालो प्रभु अपनी कावड़,
लुट गई में अभागन यहाँ पे,
लो संभालो भोले अपनी कावड़,
लुट गई में अभागन यहाँ पे।

पाँव में छाले पड़े कुम्भला,
इरादे सेकड़ो बनते है बनके टूट जाते हैं,
कांवड़ वहीं उठाते हैं जिन्हें भोले बुलाते हैं,
पाँव में छाले पड़े कुम्हला गया कोमल बदन,
मारे भूख प्यास के होती थी कंठ में जलन,
बाल थे बिखरे हुए कपड़े बदन के तार तार,
राह में गिर पड़ती थी बेहोश हो के बार बार,
तब देख के हाल एक संत को आयी दया,
और पानी पिला करके पूछने लगे बेटी बता,
हाल जरा अपना सुना दे यहाँ पे बैठकर,
किस लिए तू फिर रही है मारी मारी दर बदर,
रो के वो कहने लगी बस फूट गया भाग है,
आज इस दुनिया में लूट गया है सुहाग है,
संत बोले, संत बोले बेटी तू हिम्मत से जरा काम ले,
एक दफा भोले प्रभु का प्रेम से तू नाम ले,
देते हैं सबको सहारा तू उन्ही को याद कर,
जो भी तुझको कहना है चलकर वही फ़रियाद कर,
वो चीख करके कहने लगी झूठा तेरा ज्ञान है,
इस जगत में कोई भी ईश्वर है ना भगवान है,
मारने उस संत को पत्थर उठा आगे बड़ी,
और थरथराके इस तरह कहते हुए वो गिर पड़ी,
लो संभालो प्रभु अपनी कावड़,
लुट गई में अभागन यहाँ पे,
लो संभालो भोले अपनी कावड़,
लुट गई में अभागन यहाँ पे।

फिर सेकड़ो कावड़ियो की कावड़ झपट तोड़ दी,
मार के पत्थर ना जाने कितनो के सर फोड़ दी,
और पीछे पीछे पीछे आ गई वो भोले जी द्वार में,
गिर पड़ी वो ओंधें मुह शिव शम्भू के दरबार में,
और बोली चीख मारके क्या तू ही वो भगवान है,
अरे कर दिया बगिया को मेरे तूने तो वीरान है,
क्या मिला ओ निर्दई सुहाग मेरा लूटकर,
रोने लगी हिचकियां लेले के फूट फूट कर,
के है अगर भगवान तो क्यों सामने आता नहीं,
बिजली आसमान से क्यों मुझपे गिराता नही,
और सर को पटकने लगी शिव लिंग पे वो बार बार,
बहने लगी सर से उसके चारो तरफ खून की धार,
आज अरे आज तो प्रीतम को अपने लेके में घर जाऊँगी,
वरना तेरे धाम में सर फोड़ के मर जाऊँगी,
फिर हो गई बेहोश तो कुछ लोगे ने मिलकर उसे,
एक जगह लिटा दिया मंदिर के ला बाहर उसे,
लोगो ने समझा ये किनारा जगत से कर गई,
ये कौन थी बेचारी आज आके यहा मर गई,
फिर आई एक आवाज अरे भाग्यवान जरा आँख खोल,
फिर आई एक आवाज अरे भाग्यवान जरा आँख खोल,
प्रेम से शिव भोले जी के नाम की जयकार बोल,
प्रेम से शिव भोले जी के नाम की जयकार बोल,
वो चौंककर देखने को खोली जब अपनी नज़र,
वो चोंककर देखने को खोली जब अपनी नज़र,
उसके पति ही की गोद में रखा था उसका सर,
बोली पति से लिपट ये कैसा चमत्कार है,
हँस के पति बोला ये शिव भोले का दरबार है,
सूखे हुए बाग़ ह्रदय के यहीं खिल जाते हैं,
मुद्दतों से बिछड़े हुए भी यही मिल जाते हैं,
अरे मैं तो बह गया था श्री गंगा जी की धार में,
लोग कुछ नहा रहे थे घाट के उस पार में,
एक संत की पड़ी बहते हुए मुझपे नज़र,
कहते है कुछ लोग वही लाया मुझे तैरकर,
होश में लाकर मुझे बतलाया वो तेरी ख़बर,
बोला सीधे जा चला तू बाबा धाम की डगर,
पत्नी तेरी कर रही है बस तेरा ही इंतजार,
तेरी जुदाई में हो गई है बेचारी बेहाल,
और बह रही थी सन्त के सर से,
खून की एक मोटी सी धार,
पूछा मैंने संत से देखके ये बार बार,
हे बाबा कैसे चोट लगी है मुझे बताइए,
मुझसे कोई बात अपने दिल की ना छुपाइए,
वो संत बोले मेरी एक बेटी है गुस्से में आज हारकर,
फोड़ दिया सर मेरा पत्थर से मार मार कर,
और मुस्कुराके कहने लगे उसका ये उपहार है,
पर मेरी पगली बेटी को मुझसे बड़ा ही प्यार है,
पर है बड़ी जिद्दी अभी दुनिया से वो नादान है,
पर कुछ भी हो में हूँ पिता और वो मेरी संतान है,
पर कुछ भी हो में हूँ पिता और वो मेरी संतान है,
तब तो वो घबरा गई सुनकर पति देव के बयान को,
के नाथ में भी तो मार बैठी थी एक संत दयावान को,
फिर पत्नी बोली नाथ अब कांवड़ अभी मंगाइए,
फिर पत्नी बोली नाथ अब कांवड़ अभी मंगाइए,
और मेरे साथ भोले जी को चल के जल चढ़ाइये,
हाथ में जल पात्र लिए जब दोनों आगे बढ़े,
देखा मुस्कुराते हुए संत को वहाँ खड़े,
और देख के उनको वहां हो गए हैरानहैं,
क्या दिव्य रूप उनका है चेहरा प्रकाशवान है,
फिर उन्हें दिखलाई पड़ा बहती है जटा से गंगा,
और भोले बाबा थे खड़े हँसते हुए गौरी के संग,
थामने को शिव चरण वो दोनों जब आगे बढे,
लोप हो गए भोले जी शिव लिंग पे वो गिर पड़े,
तब रो के वो कहने लगे गलती क्षमा कर दीजिये,
आप की शरण में है बाबा दया कर दीजिये,
धन्य है माया तेरी तू दानी दयावान है,
चरणों में अपनाइये हम मूरख हैं नादान हैं,
ओ भोले तेरा भेद कोई पाया नही पार है,
पूजता है तुमको तभी सभी संसार है,
फिर दोनो प्राणी भोले को कावड़ चढ़ा हुए प्रसन्न,
फिर दोनो प्राणी भोले को
कावड़ चढ़ा हुए प्रसन्न,
और गाने लगे शर्मा जल चढ़ा के प्रेम से भजन,
के लो संभालो लो संभालो लो संभालो,
लो संभालो भोले अपनी
कावड़,
बन गई मै सुहान यहाँ पे बन गई मै सुहान यहाँ पे।

भजन श्रेणी : शिव भजन ( Shiv Bhajan)

पगली-कांवड़ की महिमा लिरिक्स लखबीर सिंह लक्खा Pagali Kavad Ki Mahima

ऐसे ही अन्य मधुर भजन देखें

पसंदीदा गायकों के भजन खोजने के लिए यहाँ क्लिक करें।

अपने पसंद का भजन खोजे

Bhajan Tangs : Kanwar Bhajan: Pagli - Kanwar Ki Mahima Title: Chal Bhole Ke Dwar Singer: Lakhbir Singh Lakha Music Director: Jaswant Singh Lyricist: Saral Kavi, Ramlal Sharma Music Label: T-Series 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

इस ब्लॉग पर आप पायेंगे मधुर और सुन्दर भजनों का संग्रह । इस ब्लॉग का उद्देश्य आपको सुन्दर भजनों के बोल उपलब्ध करवाना है। आप इस ब्लॉग पर अपने पसंद के गायक और भजन केटेगरी के भजन खोज सकते हैं....अधिक पढ़ें

+

एक टिप्पणी भेजें