सेवैं सालिगराँम कूँ माया सेती हेत मीनिंग
सेवैं सालिगराँम कूँ, माया सेती हेत।
ओढ़े काला कापड़ा, नाँव धरावैं सेत॥
Seve Saligram Ku, Maya Seti Het,
Odhe Kala Kaapada, Naav Dharave Set.
सेवैं सालिगराँम कूँ : सालिग्राम की सेवा करते हैं, मूर्ति पूजा करते हैं.
माया सेती हेत : माया से हेत करते हैं, माया से प्रेम करते हैं.
ओढ़े काला कापड़ा : वे काला कपड़ा ओढ़ते हैं.
नाँव धरावैं सेत : लेकिन वे इसे सफ़ेद कहते हैं.
सेवैं : पूजा अर्चना करते हैं.
सालिगराँम : मूर्ति, पत्थर की मूर्ति.
कूँ : से.
माया : मोह माया.
सेती : से.
हेत : प्रेम, स्नेह.
ओढ़े : ओढ़ते हैं.
काला कापड़ा : काले कपडे पहनते हैं.
नाँव : नाम.
धरावैं रखते हैं.
सेत : श्वेत, सफ़ेद.
कबीर साहेब की वाणी है की शाक्य जन भक्ति का आडम्बर रचते हैं. वे माया से लगाव रखते हैं और मूर्तिपूजा करते हैं. वे काले कपडे पहनने के बावजूद भी इसे स्वेत कहते हैं. भाव है की शाक्य जन भक्ति का आडम्बर करते हैं, उनकी भक्ति वास्तविक भक्ति नहीं है. उनके कपडे वास्तव में दिखने में स्वेत हो सकते हैं लेकिन यदि उनका आचरण देखा जाए तो उनके कपडे भी काले ही होते हैं. ऐसे लोग असत्य का आचरण करने वाले होते हैं. प्रस्तुत साखी में रुपकातिश्योक्ति अलंकार की व्यंजना हुई है.
अतः सन्देश है की हमें धार्मिक आडम्बर से दूर रहकर सच्चे हृदय से इश्वर के नाम का सुमिरन करना चाहिए. भक्ति में किसी दिखावे, कर्मकांड आदि का कोई स्थान शेष नहीं रहता है.
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें।
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