माता अन्नपूर्णा देवी दुर्गा का ही एक रूप है। हिंदू धर्म में अन्नपूर्णा देवी को ही अन्न की देवी माना गया है। माता अन्नपूर्णा घर में धन और वैभव का प्रतीक होती है। हिंदू धर्म में माता अन्नपूर्णा की पूजा की जाती है। ऐसा माना गया है जिस घर में माता अन्नपूर्णा की पूजा की जाती है वहां कभी भी खाद्यान्न और धन की कमी नहीं होती है। घर में हमेशा समृद्धि रहती है। माता अन्नपूर्णा की पूजा करने से घर में सौभाग्य की वृद्धि होती है। आर्थिक समस्याओं का निदान होता है और सामाजिक में प्रतिष्ठा प्राप्त होती है।
॥ दोहा ॥ विश्वेश्वर पदपदम की रज निज शीश लगाय। अन्नपूर्णे, तव सुयश बरनउ कवि मतिलाय।। ॥ चौपाई ॥ नित्य आनंद करिणी माता, वर अरु अभय भाव प्रख्याता । जय सौंदर्य सिंधु जग जननी, अखिल पाप हर भव-भय-हरनी । श्वेत बदन पर श्वेत बसन पुनि, संतन तुव पद सेवत ऋषिमुनि । काशी पुराधीश्वरी माता, माहेश्वरी सकल जग त्राता । वृषभारुढ़ नाम रुद्राणी, विश्व विहारिणि जय ! कल्याणी । पतिदेवता सुतीत शिरोमणि, पदवी प्राप्त कीन्ह गिरी नंदिनि । पति विछोह दुःख सहि नहिं पावा, योग अग्नि तब बदन जरावा । देह तजत शिव चरण सनेहू, राखेहु जात हिमगिरि गेहू । प्रकटी गिरिजा नाम धरायो, अति आनंद भवन मँह छायो । नारद ने तब तोहिं भरमायहु,
ब्याह करन हित पाठ पढ़ायहु । ब्रहमा वरुण कुबेर गनाये, देवराज आदिक कहि गाये । सब देवन को सुजस बखानी, मति पलटन की मन मँह ठानी । अचल रहीं तुम प्रण पर धन्या, कीहनी सिद्ध हिमाचल कन्या । निज कौ तब नारद घबराये, तब प्रण पूरण मंत्र पढ़ाये । करन हेतु तप तोहिं उपदेशेउ, संत बचन तुम सत्य परेखेहु । गगनगिरा सुनि टरी न टारे, ब्रहां तब तुव पास पधारे । कहेउ पुत्रि वर माँगु अनूपा, देहुँ आज तुव मति अनुरुपा । तुम तप कीन्ह अलौकिक भारी, कष्ट उठायहु अति सुकुमारी । अब संदेह छाँड़ि कछु मोसों, है सौगंध नहीं छल तोसों । करत वेद विद ब्रहमा जानहु, वचन मोर यह सांचा मानहु । तजि संकोच कहहु निज इच्छा, देहौं मैं मनमानी भिक्षा । सुनि ब्रहमा की मधुरी बानी, मुख सों कछु मुसुकाय भवानी । बोली तुम का कहहु विधाता, तुम तो जगके स्रष्टाधाता । मम कामना गुप्त नहिं तोंसों, कहवावा चाहहु का मोंसों । दक्ष यज्ञ महँ मरती बारा, शंभुनाथ पुनि होहिं हमारा ।
Chalisa Lyrics in Hindi,Mata Rani Bhajan lyrics in hindi
सो अब मिलहिं मोहिं मनभाये, कहि तथास्तु विधि धाम सिधाये । तब गिरिजा शंकर तव भयऊ, फल कामना संशयो गयऊ । चन्द्रकोटि रवि कोटि प्रकाशा, तब आनन महँ करत निवासा । माला पुस्तक अंकुश सोहै, कर मँह अपर पाश मन मोहै । अन्न्पूर्णे ! सदापूर्णे, अज अनवघ अनंत पूर्णे । कृपा सागरी क्षेमंकरि माँ, भव विभूति आनंद भरी माँ । कमल विलोचन विलसित भाले, देवि कालिके चण्डि कराले । तुम कैलास मांहि है गिरिजा, विलसी आनंद साथ सिंधुजा । स्वर्ग महालक्ष्मी कहलायी, मर्त्य लोक लक्ष्मी पदपायी । विलसी सब मँह सर्व सरुपा, सेवत तोहिं अमर पुर भूपा । जो पढ़िहहिं यह तव चालीसा, फल पाइंहहि शुभ साखी ईसा । प्रात समय जो जन मन लायो, पढ़िहहिं भक्ति सुरुचि अघिकायो । स्त्री कलत्र पति मित्र पुत्र युत, परमैश्रवर्य लाभ लहि अद्भुत । राज विमुख को राज दिवावै, जस तेरो जन सुजस बढ़ावै । पाठ महा मुद मंगल दाता, भक्त मनोवांछित निधि पाता । ॥ दोहा ॥
जो यह चालीसा सुभग, पढ़ि नावैंगे माथ । तिनके कारज सिद्ध सब साखी काशी नाथ ॥ ॥ इति श्री माँ अन्नपूर्णा चालीसा ॥
अन्नपूर्णा चालीसा पढ़ते समय ध्यान रखें
सुबह स्नान आदि से निवृत होकर पीले वस्त्र धारण करें।
मंदिर में पीला वस्त्र बिछाकर माता अन्नपूर्णा की तस्वीर विराजमान करें।
माता अन्नपूर्णा को केसर का तिलक लगाएं।
स्वयं भी केसर का तिलक लगाएं।
माता अन्नपूर्णा को पीले फूल अर्पित करें।
माता अन्नपूर्णा के सामने गाय के घी का दीपक और धूप जलाएं।
अन्नपूर्णा चालीसा का पाठ करते समय पीले आसन पर बैठें।
अब अन्नपूर्णा चालीसा का पाठ करें।
अन्नपूर्णा चालीसा पाठ पूर्ण होने पर माता अन्नपूर्णा की आरती करें।
पूजा संपन्न होने पर माता अन्नपूर्णा को केसर युक्त खीर या पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं।
अन्नपूर्णा चालीसा का पाठ लाभ फायदे
माता अन्नपूर्णा चालीसा पाठ के बहुत फायदे होते हैं। माता अन्नपूर्णा की पूजा जिस घर में होती है,उस घर में अन्न और धन की कभी कमी नहीं होती है।
घर का हर कोना धन-धान्य से भरपूर रहता है।
घर में समृद्धि आती है।
व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता की प्राप्ति होती है।
अन्नपूर्णा चालीसा का पाठ करने से धन और वैभव की प्राप्ति होती है।
अन्नपूर्णा चालीसा का पाठ करने से समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त होती है।
माता अन्नपूर्णा का चालीसा पाठ करने से घर में सुख शांति और समृद्धि का वातावरण बनता है।
अन्नपूर्णा चालीसा का पाठ करने से सभी रोग दोष दूर होते हैं।
माता अन्नपूर्णा अन्न की देवी है, इनकी पूजा करने से घर में खाद्यान्न की कमी नहीं होती है।
माता अन्नपूर्णा चालीसा पाठ करने से सभी प्रकार की समस्याएं दूर होती हैं।
आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती हैं।
अन्नपूर्णा चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम । जो नहीं ध्यावे तुम्हें अम्बिके, कहां उसे विश्राम । अन्नपूर्णा देवी नाम तिहारो, लेत होत सब काम ॥ बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम ।
प्रलय युगान्तर और जन्मान्तर, कालान्तर तक नाम । सुर सुरों की रचना करती, कहाँ कृष्ण कहाँ राम ॥ बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम ।
देवि देव! दयनीय दशा में, दया-दया तब नाम । त्राहि-त्राहि शरणागत वत्सल, शरण रूप तब धाम ॥ बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम ।
श्रीं, ह्रीं श्रद्धा श्री ऐ विद्या, श्री क्लीं कमला काम । कांति, भ्रांतिमयी, कांति शांतिमयी, वर दे तू निष्काम ॥ बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम । ॥ माता अन्नपूर्णा की जय ॥