शारदा चालीसा लिरिक्स विधि लाभ महत्त्व Sharada Chalisa Lyrics Benefits Hindi PDF
हिंदू धर्म में देवी देवताओं का विशेष स्थान है। सभी देवी देवताओं की पूजा विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए की जाती है। माँ शारदा की पूजा ज्ञान, बुद्धि, विवेक और कला प्राप्ति के लिए की जाती है। माँ सरस्वती को ही माँ शारदा कहा गया है। शारदा माता की पूजा करने से विद्या की प्राप्ति होती है। व्यक्ति अपने जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है। शारदा माता ज्ञान की देवी है। माता शारदा की पूजा करने से व्यक्ति बुद्धिमान बनता है और अपनी बुद्धि का प्रयोग करके हर कार्य में सफलता प्राप्त करता है। दिवाली के दिन गणेश जी और लक्ष्मी जी के साथ माता शारदा की पूजा भी की जाती है।
माता शारदा की पूजा करते समय ध्यान रखने योग्य बातें Sharada Chalisa Benefits/ Jaap Vidhi
- माता शारदा की पूजा करने के लिए सबसे पहले स्नानादि से निवृत्त होकर पीले या सफेद वस्त्र धारण करें।
- मंदिर में सफेद या पीला वस्त्र बिछाकर मां शारदा की तस्वीर रखें।
- अब माता शारदा को पीले और सफेद फूल अर्पित करें।
- माता शारदा के सामने गाय के घी से दीपक और धूप जलाएं।
- अब मां शारदा को चंदन का तिलक लगाएं।
- स्वयं को भी चंदन का तिलक लगाएं।
- अब सफेद या पीले आसन पर बैठकर मां शारदा के चालीसा का पाठ करें।
- पाठ संपूर्ण होने पर मां शारदा की आरती भी करें।
- पूजा संपन्न होने पर पीले रंग की मिठाई या केसर युक्त मिश्री का प्रसाद बच्चों में बांट दें।
- मां शारदा विद्या की देवी है।
- इनकी पूजा करने से विद्या की प्राप्ति होती है इसलिए विद्यार्थी जीवन में इनकी पूजा अवश्य करनी चाहिए।
शारदा माता चालीसा लिरिक्स हिंदी Sharada Mata Chalisa Lyrics Hindi
॥ दोहा॥
मूर्ति स्वयंभू शारदा,
मैहर आन विराज ।
माला, पुस्तक, धारिणी,
वीणा कर में साज ॥
।। चौपाई ।।
मूर्ति स्वयंभू शारदा,
मैहर आन विराज ।
माला, पुस्तक, धारिणी,
वीणा कर में साज ॥
।। चौपाई ।।
जय जय जय शारदा महारानी,
आदि शक्ति तुम जग कल्याणी।
रूप चतुर्भुज तुम्हरो माता,
तीन लोक महं तुम विख्याता॥
दो सहस्त्र वर्षहि अनुमाना,
प्रगट भई शारदा जग जाना ।
मैहर नगर विश्व विख्याता,
जहाँ बैठी शारदा जग माता॥
त्रिकूट पर्वत शारदा वासा,
मैहर नगरी परम प्रकाशा ।
सर्द इन्दु सम बदन तुम्हारो,
रूप चतुर्भुज अतिशय प्यारो॥
कोटि सुर्य सम तन द्युति पावन,
राज हंस तुम्हरो शचि वाहन।
कानन कुण्डल लोल सुहवहि,
उर्मणी भाल अनूप दिखावहिं ॥
वीणा पुस्तक अभय धारिणी,
जगत्मातु तुम जग विहारिणी।
ब्रह्म सुता अखंड अनूपा,
शारदा गुण गावत सुरभूपा॥
हरिहर करहिं शारदा वन्दन,
वरुण कुबेर करहिं अभिनन्दन ।
शारदा रूप कहण्डी अवतारा,
चण्ड-मुण्ड असुरन संहारा ॥
महिषा सुर वध कीन्हि भवानी,
दुर्गा बन शारदा कल्याणी।
धरा रूप शारदा भई चण्डी,
रक्त बीज काटा रण मुण्डी॥
तुलसी सुर्य आदि विद्वाना,
शारदा सुयश सदैव बखाना।
कालिदास भए अति विख्याता,
तुम्हरी दया शारदा माता॥
वाल्मीकी नारद मुनि देवा,
पुनि-पुनि करहिं शारदा सेवा।
चरण-शरण देवहु जग माया,
सब जग व्यापहिं शारदा माया॥
अणु-परमाणु शारदा वासा,
परम शक्तिमय परम प्रकाशा।
हे शारद तुम ब्रह्म स्वरूपा,
शिव विरंचि पूजहिं नर भूपा॥
ब्रह्म शक्ति नहि एकउ भेदा,
शारदा के गुण गावहिं वेदा।
जय जग वन्दनि विश्व स्वरूपा,
निर्गुण-सगुण शारदहिं रूपा॥
सुमिरहु शारदा नाम अखंडा,
व्यापइ नहिं कलिकाल प्रचण्डा।
सुर्य चन्द्र नभ मण्डल तारे,
शारदा कृपा चमकते सारे॥
उद्भव स्थिति प्रलय कारिणी,
बन्दउ शारदा जगत तारिणी।
दु:ख दरिद्र सब जाहिंन साई,
तुम्हारीकृपा शारदा माई॥
परम पुनीत जगत अधारा,
मातु,शारदा ज्ञान तुम्हारा।
विद्या बुद्धि मिलहिं सुखदानी,
जय जय जय शारदा भवानी॥
शारदे पूजन जो जन करहिं,
निश्चय ते भव सागर तरहीं।
शारद कृपा मिलहिं शुचि ज्ञाना,
होई सकल्विधि अति कल्याणा॥
जग के विषय महा दु:ख दाई,
भजहुँ शारदा अति सुख पाई।
परम प्रकाश शारदा तोरा,
दिव्य किरण देवहुँ मम ओरा॥
परमानन्द मगन मन होई,
मातु शारदा सुमिरई जोई।
चित्त शान्त होवहिं जप ध्याना,
भजहुँ शारदा होवहिं ज्ञाना॥
रचना रचित शारदा केरी,
पाठ करहिं भव छटई फेरी।
सत् - सत् नमन पढ़ीहे धरिध्याना,
शारदा मातु करहिं कल्याणा॥
शारदा महिमा को जग जाना,
नेति-नेति कह वेद बखाना।
सत् - सत् नमन शारदा तोरा,
कृपा द्र्ष्टि कीजै मम ओरा॥
जो जन सेवा करहिं तुम्हारी,
तिन कहँ कतहुँ नाहि दु:खभारी ।
जोयह पाठ करै चालीस,
मातु शारदा देहुँ आशीषा॥
॥ दोहा ॥
बन्दऊँ शारद चरण रज,
भक्ति ज्ञान मोहि देहुँ।
सकल अविद्या दूर कर,
सदा बसहु उर्गेहुँ।
जय-जय माई शारदा,
मैहर तेरौ धाम ।
शरण मातु मोहिं लिजिए,
तोहि भजहुँ निष्काम ॥
।।इति श्री शारदा चालीसा।।
आदि शक्ति तुम जग कल्याणी।
रूप चतुर्भुज तुम्हरो माता,
तीन लोक महं तुम विख्याता॥
दो सहस्त्र वर्षहि अनुमाना,
प्रगट भई शारदा जग जाना ।
मैहर नगर विश्व विख्याता,
जहाँ बैठी शारदा जग माता॥
त्रिकूट पर्वत शारदा वासा,
मैहर नगरी परम प्रकाशा ।
सर्द इन्दु सम बदन तुम्हारो,
रूप चतुर्भुज अतिशय प्यारो॥
कोटि सुर्य सम तन द्युति पावन,
राज हंस तुम्हरो शचि वाहन।
कानन कुण्डल लोल सुहवहि,
उर्मणी भाल अनूप दिखावहिं ॥
वीणा पुस्तक अभय धारिणी,
जगत्मातु तुम जग विहारिणी।
ब्रह्म सुता अखंड अनूपा,
शारदा गुण गावत सुरभूपा॥
हरिहर करहिं शारदा वन्दन,
वरुण कुबेर करहिं अभिनन्दन ।
शारदा रूप कहण्डी अवतारा,
चण्ड-मुण्ड असुरन संहारा ॥
महिषा सुर वध कीन्हि भवानी,
दुर्गा बन शारदा कल्याणी।
धरा रूप शारदा भई चण्डी,
रक्त बीज काटा रण मुण्डी॥
तुलसी सुर्य आदि विद्वाना,
शारदा सुयश सदैव बखाना।
कालिदास भए अति विख्याता,
तुम्हरी दया शारदा माता॥
वाल्मीकी नारद मुनि देवा,
पुनि-पुनि करहिं शारदा सेवा।
चरण-शरण देवहु जग माया,
सब जग व्यापहिं शारदा माया॥
अणु-परमाणु शारदा वासा,
परम शक्तिमय परम प्रकाशा।
हे शारद तुम ब्रह्म स्वरूपा,
शिव विरंचि पूजहिं नर भूपा॥
ब्रह्म शक्ति नहि एकउ भेदा,
शारदा के गुण गावहिं वेदा।
जय जग वन्दनि विश्व स्वरूपा,
निर्गुण-सगुण शारदहिं रूपा॥
सुमिरहु शारदा नाम अखंडा,
व्यापइ नहिं कलिकाल प्रचण्डा।
सुर्य चन्द्र नभ मण्डल तारे,
शारदा कृपा चमकते सारे॥
उद्भव स्थिति प्रलय कारिणी,
बन्दउ शारदा जगत तारिणी।
दु:ख दरिद्र सब जाहिंन साई,
तुम्हारीकृपा शारदा माई॥
परम पुनीत जगत अधारा,
मातु,शारदा ज्ञान तुम्हारा।
विद्या बुद्धि मिलहिं सुखदानी,
जय जय जय शारदा भवानी॥
शारदे पूजन जो जन करहिं,
निश्चय ते भव सागर तरहीं।
शारद कृपा मिलहिं शुचि ज्ञाना,
होई सकल्विधि अति कल्याणा॥
जग के विषय महा दु:ख दाई,
भजहुँ शारदा अति सुख पाई।
परम प्रकाश शारदा तोरा,
दिव्य किरण देवहुँ मम ओरा॥
परमानन्द मगन मन होई,
मातु शारदा सुमिरई जोई।
चित्त शान्त होवहिं जप ध्याना,
भजहुँ शारदा होवहिं ज्ञाना॥
रचना रचित शारदा केरी,
पाठ करहिं भव छटई फेरी।
सत् - सत् नमन पढ़ीहे धरिध्याना,
शारदा मातु करहिं कल्याणा॥
शारदा महिमा को जग जाना,
नेति-नेति कह वेद बखाना।
सत् - सत् नमन शारदा तोरा,
कृपा द्र्ष्टि कीजै मम ओरा॥
जो जन सेवा करहिं तुम्हारी,
तिन कहँ कतहुँ नाहि दु:खभारी ।
जोयह पाठ करै चालीस,
मातु शारदा देहुँ आशीषा॥
॥ दोहा ॥
बन्दऊँ शारद चरण रज,
भक्ति ज्ञान मोहि देहुँ।
सकल अविद्या दूर कर,
सदा बसहु उर्गेहुँ।
जय-जय माई शारदा,
मैहर तेरौ धाम ।
शरण मातु मोहिं लिजिए,
तोहि भजहुँ निष्काम ॥
।।इति श्री शारदा चालीसा।।
शारदा चालीसा पाठ करने के फायदे Sharada Mata Chalisa Benefits in Hindi
- शारदा चालीसा का पाठ करने से विद्या के क्षेत्र की प्राप्ति होती है।
- माता शारदा की पूजा करने वाला व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है।
- शारदा चालीसा का पाठ करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है।
- शारदा चालीसा का पाठ करने से बुद्धि और विवेक प्राप्त होता है।
- शारदा चालीसा का पाठ करने से जीवन की हर बाधा समाप्त होती है।
- शारदा चालीसा का पाठ करने से हर क्षेत्र में सफलता की प्राप्ति होती है।
- शारदा चालीसा का पाठ करने से आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है।
- शारदा चालीसा का पाठ करने मन शांत एवं स्थिर रहता है।
- विद्यार्थी जीवन में शारदा चालीसा का पाठ करने से विद्या प्राप्ति होती है।
- शारदा चालीसा का पाठ करने से चित्त एकाग्र और विवेकशील होता है।
- शारदा चालीसा का पाठ करने से जीवन में आर्थिक और सामाजिक उन्नति होती है।
- शारदा माता का चालीसा का पाठ करने से पारिवारिक समस्याएं दूर होकर घर का वातावरण शांत होता है।
- घर में सुख समृद्धि का वास होता है।
- विद्या अर्जन करने के बाद व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में उन्नति करता है।
- शारदा चालीसा का पाठ करने से समाज में प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है।
शारदा माता के मंत्र Sharada Mata Mantra Hindi
माता का चालीसा करने के साथ ही शारदा माता के मंत्र का जाप भी लाभदायक होता है। ज्ञान की प्राप्ति हेतु हमें शारदा माता के मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे विद्या की प्राप्ति होती है। शारदा चालीसा का पाठ व मंत्र का जाप करने से व्यक्ति वैभवशाली और विवेकशील होता है। शारदा माता के यह मंत्र विद्या प्राप्ति में सहायक होते हैं। इन मंत्रों के जाप से सुख, समृद्धि और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
1. शारदा शारदांभौजवदना, वदनाम्बुजे।
सर्वदा सर्वदास्माकमं सन्निधिमं सन्निधिमं क्रियात्।।
2. ॐ शारदा माता ईश्वरी मैं नित सुमरि तोय।
हाथ जोड़ अरजी करूं विद्या वर दे मोय।।
1. शारदा शारदांभौजवदना, वदनाम्बुजे।
सर्वदा सर्वदास्माकमं सन्निधिमं सन्निधिमं क्रियात्।।
2. ॐ शारदा माता ईश्वरी मैं नित सुमरि तोय।
हाथ जोड़ अरजी करूं विद्या वर दे मोय।।
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भजन श्रेणी : सरस्वती माता भजन (Saraswati Mata Bhajan)
मैहर वाली माता चालीसा श्री शारदा चालीसा | जय जय जय शारदा महारानी | Shree Sharada Chalisa | Tara Devi
Sharada Mata Aarti
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया ॥
पान सुपारी ध्वजा नारियल ।
ले तेरी भेंट चढ़ाया ॥
॥ सुन मेरी देवी पर्वतवासनी…॥
सुवा चोली तेरी अंग विराजे ।
केसर तिलक लगाया ॥
॥ सुन मेरी देवी पर्वतवासनी…॥
नंगे पग मां अकबर आया ।
सोने का छत्र चढ़ाया ॥
॥ सुन मेरी देवी पर्वतवासनी…॥
ऊंचे पर्वत बनयो देवालाया ।
निचे शहर बसाया ॥
॥ सुन मेरी देवी पर्वतवासनी…॥
सत्युग, द्वापर, त्रेता मध्ये ।
कालियुग राज सवाया ॥
॥ सुन मेरी देवी पर्वतवासनी…॥
धूप दीप नैवैध्य आरती ।
मोहन भोग लगाया ॥
॥ सुन मेरी देवी पर्वतवासनी…॥
ध्यानू भगत मैया तेरे गुन गाया ।
मनवांछित फल पाया ॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया ॥
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कोई तेरा पार ना पाया ॥
पान सुपारी ध्वजा नारियल ।
ले तेरी भेंट चढ़ाया ॥
॥ सुन मेरी देवी पर्वतवासनी…॥
सुवा चोली तेरी अंग विराजे ।
केसर तिलक लगाया ॥
॥ सुन मेरी देवी पर्वतवासनी…॥
नंगे पग मां अकबर आया ।
सोने का छत्र चढ़ाया ॥
॥ सुन मेरी देवी पर्वतवासनी…॥
ऊंचे पर्वत बनयो देवालाया ।
निचे शहर बसाया ॥
॥ सुन मेरी देवी पर्वतवासनी…॥
सत्युग, द्वापर, त्रेता मध्ये ।
कालियुग राज सवाया ॥
॥ सुन मेरी देवी पर्वतवासनी…॥
धूप दीप नैवैध्य आरती ।
मोहन भोग लगाया ॥
॥ सुन मेरी देवी पर्वतवासनी…॥
ध्यानू भगत मैया तेरे गुन गाया ।
मनवांछित फल पाया ॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया ॥
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