युग युग से प्यासे है नैना दर्शन दो बनवारी
युग युग से प्यासे है नैना दर्शन दो बनवारी
युग युग से प्यासे हैं नैना,
दर्शन दो बनवारी,
हे गोविंद मुरारी,
हे गोविंद मुरारी।।
अब युग युग की प्यास बुझा दे,
दोनों कुल की लाज बचा दे,
तू गोकुल का ग्वाला कान्हा,
आ जा कुंज बिहारी,
हे गोविंद मुरारी,
हे गोविंद मुरारी।।
नैया मेरी बीच भंवर में,
पार उतर जाऊं तेरे दरस में,
तू तो नंद दुलारा कृष्णा,
हर लो विपदा भारी,
हे गोविंद मुरारी,
हे गोविंद मुरारी।।
युग युग से प्यासे हैं नैना,
दर्शन दो बनवारी,
हे गोविंद मुरारी,
हे गोविंद मुरारी।।
दर्शन दो बनवारी,
हे गोविंद मुरारी,
हे गोविंद मुरारी।।
अब युग युग की प्यास बुझा दे,
दोनों कुल की लाज बचा दे,
तू गोकुल का ग्वाला कान्हा,
आ जा कुंज बिहारी,
हे गोविंद मुरारी,
हे गोविंद मुरारी।।
नैया मेरी बीच भंवर में,
पार उतर जाऊं तेरे दरस में,
तू तो नंद दुलारा कृष्णा,
हर लो विपदा भारी,
हे गोविंद मुरारी,
हे गोविंद मुरारी।।
युग युग से प्यासे हैं नैना,
दर्शन दो बनवारी,
हे गोविंद मुरारी,
हे गोविंद मुरारी।।
युग युग से प्यासी है नैना दर्शन दो बनवारी ~ भजन गायक पं सुनील पाठक ~ तबला वादक रामध्यान गुप्ता
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Author - Saroj Jangir
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