उधो मत अइयो समझावे जाके कांटो लगे
उधो मत अइयो समझावे जाके कांटो लगे
उधो मत अइयो समझावे,
जाके कांटे लगे, वो ही जाने,
उधो मत अइयो समझाने।।
जाय बसे हो दूर ब्रज में,
भेजत हो संदेसा,
हम गोपी नित राह तकत हैं,
सूख गए मोरे नैना,
बैरी पीर नहीं पहचाने,
बैरी पीर नहीं पहचाने,
जाके कांटे लगे, वो ही जाने,
उधो मत अइयो समझाने।।
मोर मुकुट वैजयंती माला,
दीजो उसको जाए,
कहियो असुवन जल से यमुना,
खारी ना हो जाए,
कोई भी मत अइयो समझावे,
कोई भी मत अइयो समझावे,
जाके कांटे लगे, वो ही जाने,
उधो मत अइयो समझाने।।
छोड़ गए हो नंद दुलारे,
राधा को सांवरिया,
श्यामा-श्यामा रटते-रटते,
हो गई मैं बावरिया,
पथराई मैया की अखियां रे,
पथराई मैया की अखियां रे,
जाके कांटे लगे, वो ही जाने,
उधो मत अइयो समझाने।।
उधो मत अइयो समझावे,
जाके कांटे लगे, वो ही जाने,
उधो मत अइयो समझाने।।
जाके कांटे लगे, वो ही जाने,
उधो मत अइयो समझाने।।
जाय बसे हो दूर ब्रज में,
भेजत हो संदेसा,
हम गोपी नित राह तकत हैं,
सूख गए मोरे नैना,
बैरी पीर नहीं पहचाने,
बैरी पीर नहीं पहचाने,
जाके कांटे लगे, वो ही जाने,
उधो मत अइयो समझाने।।
मोर मुकुट वैजयंती माला,
दीजो उसको जाए,
कहियो असुवन जल से यमुना,
खारी ना हो जाए,
कोई भी मत अइयो समझावे,
कोई भी मत अइयो समझावे,
जाके कांटे लगे, वो ही जाने,
उधो मत अइयो समझाने।।
छोड़ गए हो नंद दुलारे,
राधा को सांवरिया,
श्यामा-श्यामा रटते-रटते,
हो गई मैं बावरिया,
पथराई मैया की अखियां रे,
पथराई मैया की अखियां रे,
जाके कांटे लगे, वो ही जाने,
उधो मत अइयो समझाने।।
उधो मत अइयो समझावे,
जाके कांटे लगे, वो ही जाने,
उधो मत अइयो समझाने।।
कृष्णजी का ऐसा भजन जिसे आप बार बार सुनना पसंद करोगे - उधो मत आइयो समझाने - KRISHNAPRIYA JI MAHARAJ
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Author - Saroj Jangir
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