गुरुदेव शरण में आया हूँ निज दास समझ अपना लेना

गुरुदेव शरण में आया हूँ निज दास समझ अपना लेना


गुरुदेव शरण में आया हूँ,
निज दास समझ अपना लेना।
मैं नीच-अधम-अज्ञानी हूँ,
गुरु ज्ञान की ज्योति जला देना।

अपराधी हूँ, अपराध किया,
ना जाने कितने पाप किया।
मैं सेवक हूँ, गुरु स्वामी हो,
मेरे पापों को दफ़ना देना।
गुरुदेव...

नादान हूँ मैं नादानी से,
भक्ति के भाव को क्या जानूँ?
गुरुदेव कृपा के सागर हो,
भक्ति का ज्ञान करा देना।
गुरुदेव...

यदि ईश रूठ जाएगा तो,
गुरुदेव ही एक सहारा हो।
गुरु रूठ न जाना गलती से,
निज सेवक जान दया करना।
गुरुदेव...

मुझमें है बहुत बुराई पर,
गुरुदेव शरण में आया हूँ।
अपराध हुई जो कान्त से हो,
निज शिष्य समझ समझा देना।
गुरुदेव...


गुरुदेव शरण में आया हूँ//दासानुदास श्रीकान्त दास जी महाराज । स्वरःअनन्या ।

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सतगुरु की शरण में आकर अपने को उनका दास मानकर स्वीकार करने की प्रार्थना की जाती है। अज्ञानी और अधम होने का स्वीकार करते हुए, गुरु से ज्ञान की ज्योति जलाने की विनती की जाती है। अनगिनत पाप और अपराध किए गए, पर गुरु को स्वामी मानकर उनसे पापों को मिटाने की गुहार लगाई जाती है। नादानी के कारण भक्ति के भाव को समझने में असमर्थता है, पर गुरु, जो कृपा के सागर हैं, से भक्ति का ज्ञान देने की प्रार्थना की जाती है। यदि ईश्वर रूठ जाए, तो गुरु ही एकमात्र सहारा हैं, इसलिए उनसे गलती पर भी रूठने न देने और दया करने की याचना की जाती है। 
 
अनेक बुराइयों के बावजूद गुरु की शरण में आया जाता है, और उनसे अपराधों को क्षमा कर शिष्य के रूप में समझाने की प्रार्थना की जाती है। यह भजन गुरु की शरण में पूर्ण समर्पण, उनकी कृपा से पापों के नाश, ज्ञान और भक्ति की प्राप्ति, और उनके प्रति अटूट विश्वास की भावना को व्यक्त करता है।
 
जब आप सद्गुरु की शिक्षाओं को सुनते या उन्हें अपने जीवन में उतारते हैं, तो आपको एहसास होता है कि जीवन की हर चुनौती का सामना किया जा सकता है और जीवन में सुख-शांति प्राप्त की जा सकती है। सद्गुरु के वचन आपको बताते हैं कि आपकी क्षमता असीम है और पूरी क्षमता से जीवन जीने पर सफलता सहज ही मिल सकती है। इन वचनों से आपके मन में निराशा, भ्रम और डर दूर होते हैं और आशा, विश्वास और सकारात्मकता का संचार होता है। 
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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