पाया सतगुरु जी तेरे नाम वाला चोला
पाया सतगुरु जी तेरे नाम वाला चोला
पाया सतगुरु जी, तेरे नाम वाला चोला
तार देवे सानूं देके ठंडा ठंडा झोला।
रोम रोम विच तेरा नाम रच गया ऐ
ज़िंदगी दे पल्ले नाल बण लया सच्चा ऐ
तेरे साडे विच हुण रह्या ना कोई ओला।
पाया सतगुरु जी, तेरे नाम वाला चोला
तार देवे सानूं देके ठंडा ठंडा झोला।
जदों दा सतगुरु असी पल्ला तेरा फड़या
रंग तेरी भगती दा भगता नूं चढ़या
जग लग्गे झूठा, तेरा नाम अनमोल है।
पाया सतगुरु जी, तेरे नाम वाला चोला
तार देवे सानूं देके ठंडा ठंडा झोला।
काम ते क्रोध उत्ते पा लई असी जीत वे
लोभ मोह अहंकार विच जान्दा नहिंओ चित्त वे
हार गया साडे पंजा चोरां वाला टोला।
पाया सतगुरु जी, तेरे नाम वाला चोला
तार देवे सानूं देके ठंडा ठंडा झोला।
जेड़े राहां जा के तेरा दर मलया
पैर साडे करमां पीछे पीछे चलया
ओखा तेरा पैंडा, पावें सानूं प्या ओला।
पाया सतगुरु जी, तेरे नाम वाला चोला
तार देवे सानूं देके ठंडा ठंडा झोला।
तार देवे सानूं देके ठंडा ठंडा झोला।
रोम रोम विच तेरा नाम रच गया ऐ
ज़िंदगी दे पल्ले नाल बण लया सच्चा ऐ
तेरे साडे विच हुण रह्या ना कोई ओला।
पाया सतगुरु जी, तेरे नाम वाला चोला
तार देवे सानूं देके ठंडा ठंडा झोला।
जदों दा सतगुरु असी पल्ला तेरा फड़या
रंग तेरी भगती दा भगता नूं चढ़या
जग लग्गे झूठा, तेरा नाम अनमोल है।
पाया सतगुरु जी, तेरे नाम वाला चोला
तार देवे सानूं देके ठंडा ठंडा झोला।
काम ते क्रोध उत्ते पा लई असी जीत वे
लोभ मोह अहंकार विच जान्दा नहिंओ चित्त वे
हार गया साडे पंजा चोरां वाला टोला।
पाया सतगुरु जी, तेरे नाम वाला चोला
तार देवे सानूं देके ठंडा ठंडा झोला।
जेड़े राहां जा के तेरा दर मलया
पैर साडे करमां पीछे पीछे चलया
ओखा तेरा पैंडा, पावें सानूं प्या ओला।
पाया सतगुरु जी, तेरे नाम वाला चोला
तार देवे सानूं देके ठंडा ठंडा झोला।
SSDN:- पाया सतगुरु जी तेरे नाम वाला गहना | SATGURU BHAJAN | Anandpur bhajan | ssdn bhajan | #ssdn
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सतगुरु की कृपा से उनके नाम का चोला पहना जाता है, जिससे मन को शीतलता और शांति मिलती है। हर रोम में उनका नाम समा गया है, और जीवन उनके सच्चे प्रेम से बंध गया है, अब कोई दूरी नहीं रहती। जब से सतगुरु का पल्ला थामा गया, उनके भक्ति रंग में रंग गया, और संसार का झूठा वैभव उनके अनमोल नाम के सामने फीका पड़ गया। सतगुरु की कृपा से काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार जैसे पांच चोरों पर विजय पाई गई, और मन इनके चक्कर में नहीं पड़ता। उनके दर पर पहुँचने का मार्ग मिला, कर्म पीछे-पीछे चलते हैं, और उनका कठिन पथ भी अब सुगम और प्रिय लगता है। यह भजन सतगुरु के नाम की महिमा, उनकी भक्ति से मिलने वाली शांति और पांच विकारों पर विजय पाकर सच्चे मार्ग पर चलने की भावना को व्यक्त करता है।
गुरु न केवल शैक्षिक ज्ञान देते हैं, बल्कि जीवन के हर पहलू में मार्गदर्शन भी प्रदान करते हैं। वे शिष्य को जीवन की चुनौतियों का सामना करने की ताकत देते हैं और उसे आत्मनिर्भर बनाने में सहायक होते हैं। गुरु के बिना शिक्षा अधूरी मानी जाती है, क्योंकि वे ही ज्ञान को सही रूप में जीवन में उतारने का तरीका सिखाते हैं। इस प्रकार, गुरु ही वह ज्ञान का स्रोत हैं, जो शिष्य के जीवन को सार्थक और प्रकाशित करते हैं।
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Author - Saroj Jangir
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