आज मेरे गुरां ने आना नी सईयो काग बनेरे बोले
आज मेरे गुरां ने आना नी सईयो काग बनेरे बोले
आज मेरे गुरां ने आना नी, सईयो काग बनेरे बोले।
बिच खुशी दे वेड़े नचदा, कंदा मारन ताड़ी।
धरती पैर न लगे मेरा, चढ़ गई नाम खुमारी।
मैं चरनां लग जावां नी, सईयो काग बनेरे बोले।
आज मेरे गुरां ने आना नी, सईयो काग बनेरे बोले।
काग उड़दे तां लौकी केंदी, आवे कोई परोणा।
मेरे सतगुरु वरगा परोणा, न होया न होणा।
मैं चूरी खिलावां नी, सईयो काग बनेरे बोले।
आज मेरे गुरां ने आना नी, सईयो काग बनेरे बोले।
गुरां लई मक्खन दे पेड़े, कागां लई चूरी।
रह गई उमर हो जावे मेरी, आशा है पूरी।
लख लख शुक्र मनावां नी, सईयो काग बनेरे बोले।
आज मेरे श्याम ने आओणा नी, सईयो काग बनेरे बोले।
आज मेरे गुरां ने आना नी, सईयो काग बनेरे बोले।
बिच खुशी दे वेड़े नचदा, कंदा मारन ताड़ी।
धरती पैर न लगे मेरा, चढ़ गई नाम खुमारी।
मैं चरनां लग जावां नी, सईयो काग बनेरे बोले।
आज मेरे गुरां ने आना नी, सईयो काग बनेरे बोले।
काग उड़दे तां लौकी केंदी, आवे कोई परोणा।
मेरे सतगुरु वरगा परोणा, न होया न होणा।
मैं चूरी खिलावां नी, सईयो काग बनेरे बोले।
आज मेरे गुरां ने आना नी, सईयो काग बनेरे बोले।
गुरां लई मक्खन दे पेड़े, कागां लई चूरी।
रह गई उमर हो जावे मेरी, आशा है पूरी।
लख लख शुक्र मनावां नी, सईयो काग बनेरे बोले।
आज मेरे श्याम ने आओणा नी, सईयो काग बनेरे बोले।
आज मेरे गुरां ने आना नी, सईयो काग बनेरे बोले।
आज मेरे गुरा ने आना नी | सईयो कांग बनेरे बोले |SSDN BHAJAN | Anandpur Bhajan| #satgurubhajan #ssdn
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गुरु को ‘ज्ञान का मार्गदर्शक’ माना जाता है, क्योंकि वे शिष्य को अज्ञान के अंधकार से निकालकर ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाते हैं। गुरु के मार्गदर्शन में ही शिष्य जीवन के सही और गलत का भेद समझता है, आध्यात्मिक विकास करता है और जीवन में उपयोगी नीतियों, अनुशासन और नियमों को सीखता है। गुरु की देखरेख में शिष्य में आत्मविश्वास, सकारात्मक सोच और जीवन के प्रति सही दृष्टिकोण विकसित होता है, जो उसे समाज में एक जिम्मेदार और सफल इंसान बनने में मदद करता है।
गुरु न केवल शैक्षिक ज्ञान देते हैं, बल्कि जीवन के हर पहलू में मार्गदर्शन भी प्रदान करते हैं। वे शिष्य को जीवन की चुनौतियों का सामना करने की ताकत देते हैं और उसे आत्मनिर्भर बनाने में सहायक होते हैं
। गुरु के बिना शिक्षा अधूरी मानी जाती है, क्योंकि वे ही ज्ञान को सही रूप में जीवन में उतारने का तरीका सिखाते हैं। इस प्रकार, गुरु ही वह ज्ञान का स्रोत हैं, जो शिष्य के जीवन को सार्थक और प्रकाशित करते हैं।
गुरु न केवल शैक्षिक ज्ञान देते हैं, बल्कि जीवन के हर पहलू में मार्गदर्शन भी प्रदान करते हैं। वे शिष्य को जीवन की चुनौतियों का सामना करने की ताकत देते हैं और उसे आत्मनिर्भर बनाने में सहायक होते हैं
। गुरु के बिना शिक्षा अधूरी मानी जाती है, क्योंकि वे ही ज्ञान को सही रूप में जीवन में उतारने का तरीका सिखाते हैं। इस प्रकार, गुरु ही वह ज्ञान का स्रोत हैं, जो शिष्य के जीवन को सार्थक और प्रकाशित करते हैं।
गुरु का मार्गदर्शन आपके जीवन में सबसे बड़ा बदलाव इस रूप में लाता है कि वह आपको अज्ञान के अंधकार से निकालकर सत्य और ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाता है। गुरु के दिशा-निर्देशों से आपके अंदर नैतिकता, सही-गलत का भेद, आत्मविश्वास और आध्यात्मिक दृष्टिकोण विकसित होता है। गुरु की शिक्षाएँ और सानिध्य आपको जीवन की चुनौतियों का सामना करने की शक्ति देते हैं। गुरु के मार्गदर्शन में आप अपने जीवन को अधिक सार्थक और सुव्यवस्थित तरीके से जीना सीखते हैं, जिससे आपके अंदर सकारात्मकता और शांति बनी रहती है।
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Author - Saroj Jangir
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