निवां होके वेख ले बन्देया

निवां होके वेख ले बन्देया Niva Hoke Vekh Le Bandiya Bhajan


निवां होके वेख ले बन्देया, निवां होया रब मिलदा
जे तू निवां हो जावे ता ,रब तेरा ते तू रब दा
निवां .....

निवां होया निर्मल पानी , किसी नु कुछ ना कहंदा हे
लखा पापी पाप ने धोंदे , फेर वी निर्मल रहन्दा है
पानी वांगो बन जावे ता , रब तेरा ते तू रब दा
निवां .....

नीवीं होई धरती माता , किसी नु कुछ ना कहेंदी हे
लखां जुलम ने , इस ते होंदे, चुप करके सह लेंदी हे
धरती वांगो बन जावे ता , रब तेरा ते तू रब दा
निवां .....

नीवें होए संत लाडले , किसी नु कुछ ना कहंदे ने
सारी दुनिया ताने देन्दी , चुप कर के सह लेनदे ने
संता वांगो बन जावे ता , रब तेरा ते तू रब दा
निवां .....
 
ਨਿਵਾਂ ਹੋ ਕੇ ਵੇਖ ਲੈ ਬੰਦੇਆ

(निवां होके वेख ले बन्देया)

ਨਿਵਾਂ ਹੋ ਕੇ ਵੇਖ ਲੈ ਬੰਦੇਆ,
ਨਿਵਾਂ ਹੋਇਆ ਰੱਬ ਮਿਲਦਾ।
ਜੇ ਤੂੰ ਨਿਵਾਂ ਹੋ ਜਾਵੇ ਤਾ,
ਰੱਬ ਤੇਰਾ ਤੇ ਤੂੰ ਰੱਬ ਦਾ।
ਨਿਵਾਂ...

ਨਿਵਾਂ ਹੋਇਆ ਨਿਰਮਲ ਪਾਣੀ,
ਕਿਸੇ ਨੂੰ ਕੁਝ ਨਾ ਕਹਿੰਦਾ ਏ।
ਲੱਖਾਂ ਪਾਪੀ ਪਾਪ ਨ੍ਹੋ ਲੈਂਦੇ,
ਫੇਰ ਵੀ ਨਿਰਮਲ ਰਹਿੰਦਾ ਏ।
ਪਾਣੀ ਵਾਂਗੂੰ ਬਣ ਜਾਵੇ ਤਾ,
ਰੱਬ ਤੇਰਾ ਤੇ ਤੂੰ ਰੱਬ ਦਾ।
ਨਿਵਾਂ...

ਨੀਵੀਂ ਹੋਈ ਧਰਤੀ ਮਾਤਾ,
ਕਿਸੇ ਨੂੰ ਕੁਝ ਨਾ ਕਹਿੰਦੀ ਏ।
ਲੱਖਾਂ ਜੁਲਮ ਇਸ ਤੇ ਹੋਂਦੇ,
ਚੁੱਪ ਕਰਕੇ ਸਹ ਲੈਂਦੀ ਏ।
ਧਰਤੀ ਵਾਂਗੂੰ ਬਣ ਜਾਵੇ ਤਾ,
ਰੱਬ ਤੇਰਾ ਤੇ ਤੂੰ ਰੱਬ ਦਾ।
ਨਿਵਾਂ...

ਨੀਵੇਂ ਹੋਏ ਸੰਤ ਲਾਡਲੇ,
ਕਿਸੇ ਨੂੰ ਕੁਝ ਨਾ ਕਹਿੰਦੇ ਨੇ।
ਸਾਰੀ ਦੁਨੀਆਂ ਤਾਣੇ ਦਿੰਦੀ,
ਚੁੱਪ ਕਰਕੇ ਸਹ ਲੈਂਦੇ ਨੇ।
ਸੰਤਾ ਵਾਂਗੂੰ ਬਣ ਜਾਵੇ ਤਾ,
ਰੱਬ ਤੇਰਾ ਤੇ ਤੂੰ ਰੱਬ ਦਾ।
ਨਿਵਾਂ...


Nivan Hoke Dekh Le Bandeya | Satgur Shabad | Pro Shabad

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जीवन का सच्चा मार्ग नम्रता में छिपा है, क्योंकि यही वह गुण है जो आत्मा को परमात्मा के निकट ले जाता है। जब मन अभिमान और अहंकार को त्यागकर नम्र हो जाता है, तब हृदय में वह शांति और पवित्रता जन्म लेती है, जो निर्मल जल-सी होती है। जैसे पानी लाखों पापों को धोकर भी अपनी शुद्धता नहीं खोता, वैसे ही नम्रता से भरा मन हर दुख और अपमान को सहकर भी अपनी कोमलता बनाए रखता है। यह नम्रता ही है, जो धरती माता की तरह सब कुछ सह लेती है और फिर भी दूसरों को जीवन देती रहती है। इस मार्ग पर चलकर ही मनुष्य उस सत्य को पा सकता है, जहां वह और परमात्मा एक हो जाते हैं।

संतों का जीवन इस नम्रता का जीवंत उदाहरण है। वे दुनिया के तानों और कष्टों को चुपचाप सहते हैं, फिर भी उनके हृदय में केवल प्रेम और करुणा ही रहती है। उनकी तरह नम्र बनना ही सच्ची साधना है। जब मन में यह भाव जाग्रत हो जाता है कि नम्रता ही परमात्मा तक पहुंचने का रास्ता है, तो जीवन का हर क्षण एक प्रार्थना बन जाता है। यह विश्वास रखें कि नम्रता के साथ जिया गया जीवन न केवल आत्मा को शुद्ध करता है, बल्कि उसे उस अनंत सुख और शांति से जोड़ता है, जो केवल परमात्मा की कृपा से ही प्राप्त होती है।
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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