धन धन भोलेनाथ बांट दियो तीन लोक

धन धन भोलेनाथ बांट दियो तीन लोक

धन धन भोलेनाथ बांट दियो,
तीन लोक एक पल भर में,
ऐसे दीन दयालु मोरे बाबा,
भरे खजाना पल भर में,
ऐसे दीन दयालु मोरे बाबा,
भरे खजाना पल भर में।।

प्रथम वेद ब्रह्मा को दे दिया,
बने वेद के अधिकारी,
विष्णु को दिया चक्र सुदर्शन,
लक्ष्मी सी सुंदर नारी,
इंद्र को दिया कामधेनु और,
ऐरावत सा बलकारी,
कुबेर को सारी वसुधा का,
बना दिया यूं अधिकारी,
आप भजन में मस्त रहो और,
भंग पियो नित खप्पर में,
ऐसे दीन दयालु मोरे बाबा,
भरे खजाना पल भर में,
धन धन भोलेनाथ बांट दियो,
तीन लोक एक पल भर में,
ऐसे दीन दयालु मोरे बाबा,
भरे खजाना पल भर में।।

अमृत तो देवों को दे दिया,
आप हलाहल पान किया,
ब्रह्मज्ञान दे दिया उसी को,
जिसने आपका ध्यान किया,
भागीरथ को गंगा दे दी,
कलयुग में स्नान किया,
बड़े-बड़े पापियों को तारा,
पल भर में कल्याण किया,
अपने पास में वस्त्र न रखते,
मस्त रहे बाघम्बर में,
ऐसे दीन दयालु मोरे बाबा,
भरे खजाना पल भर में,
धन धन भोलेनाथ बांट दियो,
तीन लोक एक पल भर में,
ऐसे दीन दयालु मोरे बाबा,
भरे खजाना पल भर में।।

वीणा तो नारद को दे दी,
हरि भजन का राग दिया,
ब्राह्मण को दिया कर्मकांड और,
सन्यासी को त्याग दिया,
और रावण को लंका दे दी,
बिस भुजा दस शीष दिए,
रामचंद्र को धनुष बाण,
तुम्हीं ने तो जगदीश दिए,
अपने पास नहीं कुछ रखते,
मस्त रहे अपने घर में,
ऐसे दीन दयालु मोरे बाबा,
भरे खजाना पल भर में,
धन धन भोलेनाथ बांट दियो,
तीन लोक एक पल भर में,
ऐसे दीन दयालु मोरे बाबा,
भरे खजाना पल भर में।।

धन धन भोलेनाथ बांट दियो,
तीन लोक एक पल भर में,
ऐसे दीन दयालु मोरे बाबा,
भरे खजाना पल भर में,
ऐसे दीन दयालु मोरे बाबा,
भरे खजाना पल भर में।।


धन धन भोलेनाथ बाँट दियो | Upasana Mehta | अमृत तो देवों को दे दिया | Shiv Bhajan 2025 |

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परम कृपालु और दयालु स्वरूप की महिमा अनंत है, जो अपने भक्तों पर अपार प्रेम और करुणा बरसाते हैं। उनकी दया का कोई ठिकाना नहीं, जो एक पल में तीनों लोकों का वैभव बांट देते हैं। यह दया ऐसी है कि जो भी उनके शरण में आता है, उसे वह अपने खजाने से नवाजते हैं। चाहे वह ब्रह्मा को वेदों का ज्ञान हो, विष्णु को सुदर्शन चक्र और लक्ष्मी जैसी समृद्धि हो, या फिर इंद्र को ऐरावत और कामधेनु जैसे उपहार हों, उनकी कृपा से सभी कुछ संभव हो जाता है। उनकी दया का यह प्रवाह इतना प्रबल है कि वह कुबेर को धरती का धन-वैभव सौंपकर भी स्वयं भजन और भक्ति में मस्त रहते हैं। उनकी यह उदारता और निस्वार्थ भावना सिखाती है कि सच्ची समृद्धि दूसरों को बांटने और उनके कल्याण में ही निहित है।
 
Singer : Upasana Mehta
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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