नज़रों का जादूगर है मेरा श्याम सांवरा
नज़रों का जादूगर है मेरा श्याम सांवरा
नज़रों का जादूगर है, मेरा श्याम सांवरा,
नज़रों का जादूगर है, मेरा श्याम प्यारा॥
मोहन का दिल लगाना, तो बस इक खेल है,
जाने ना दिल के दर्द को, मेरा श्याम संवारा।
करता है झूठे वादे, मेरा श्याम संवारा॥
रुसवाईयों का डर नहीं, आँखों में न शर्म,
उल्फ़त नहीं ये जानता, मेरा श्याम संवारा।
नज़रों का जादूगर है, मेरा श्याम प्यारा॥
वादे तो सारे झूठे थे, क्या करते इतवार,
अरे झूठों का बादशाह है, मेरा श्याम संवारा।
करता है झूठे वादे, मेरा श्याम संवारा॥
कैसे निकालूं दिल से, मेरी जान जायेगी,
बैठा है दिल में इस तरह, मेरा श्याम संवारा।
नज़रों का जादूगर है, मेरा श्याम प्यारा॥
नज़रों के तीर हम पे न ऐसे चलाइए,
कैसे जिएंगे आप बिन, इतना बताइए।
नज़रों का जादूगर है, मेरा श्याम प्यारा॥
इक पल भी अब कटे नहीं, क्या हाल हो गया,
कैसे कटेगी ज़िन्दगी, इतना बताइए।
नज़रों के तीर हम पे न ऐसे चलाइए॥
जग की लगाई आग में, जीते-जी जल गये,
अब अपनी प्रीत का नशा, हमको जलाइए।
नज़रों के तीर हम पे न ऐसे चलाइए॥
इतनी सी अर्जी है मेरी, पूरी करो कभी,
राधे से इक बार श्याम, हमको मिलाइए।
नज़रों के तीर हम पे न ऐसे चलाइए॥
कैसा ये हमपे संवारे, उपकार हो गया,
नज़रों से मिली नज़रें, दीदार हो गया॥
अपना पता हमें नहीं, दुनिया की क्या खबर,
दिल था हमारा, इक जो तेरे नाम हो गया॥
जीवन में आके आपने, क्या जादू कर दिया,
गुलशन था उजड़ा-उजड़ा, गुलज़ार हो गया॥
अब तो हमारा हर जनम, होगा यूँ ही मिलन,
भक्तों के संग भक्ति का, इकरार हो गया॥
नज़रों का जादूगर है, मेरा श्याम प्यारा॥
मोहन का दिल लगाना, तो बस इक खेल है,
जाने ना दिल के दर्द को, मेरा श्याम संवारा।
करता है झूठे वादे, मेरा श्याम संवारा॥
रुसवाईयों का डर नहीं, आँखों में न शर्म,
उल्फ़त नहीं ये जानता, मेरा श्याम संवारा।
नज़रों का जादूगर है, मेरा श्याम प्यारा॥
वादे तो सारे झूठे थे, क्या करते इतवार,
अरे झूठों का बादशाह है, मेरा श्याम संवारा।
करता है झूठे वादे, मेरा श्याम संवारा॥
कैसे निकालूं दिल से, मेरी जान जायेगी,
बैठा है दिल में इस तरह, मेरा श्याम संवारा।
नज़रों का जादूगर है, मेरा श्याम प्यारा॥
नज़रों के तीर हम पे न ऐसे चलाइए,
कैसे जिएंगे आप बिन, इतना बताइए।
नज़रों का जादूगर है, मेरा श्याम प्यारा॥
इक पल भी अब कटे नहीं, क्या हाल हो गया,
कैसे कटेगी ज़िन्दगी, इतना बताइए।
नज़रों के तीर हम पे न ऐसे चलाइए॥
जग की लगाई आग में, जीते-जी जल गये,
अब अपनी प्रीत का नशा, हमको जलाइए।
नज़रों के तीर हम पे न ऐसे चलाइए॥
इतनी सी अर्जी है मेरी, पूरी करो कभी,
राधे से इक बार श्याम, हमको मिलाइए।
नज़रों के तीर हम पे न ऐसे चलाइए॥
कैसा ये हमपे संवारे, उपकार हो गया,
नज़रों से मिली नज़रें, दीदार हो गया॥
अपना पता हमें नहीं, दुनिया की क्या खबर,
दिल था हमारा, इक जो तेरे नाम हो गया॥
जीवन में आके आपने, क्या जादू कर दिया,
गुलशन था उजड़ा-उजड़ा, गुलज़ार हो गया॥
अब तो हमारा हर जनम, होगा यूँ ही मिलन,
भक्तों के संग भक्ति का, इकरार हो गया॥
NAZRO KA JADUGAR HAI MERA SHYAM SANWRA AJAY TIWARI
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Author - Saroj Jangir
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