मन इकतारा तू हाथ उठा ले

मन इकतारा तू हाथ उठा ले


मन इकतारा तू हाथ उठा ले,
मीरा जैसा प्याला मस्ती का चढ़ा ले।
अरे “राधे-राधे” की जो प्यारे, रट लगा ले,
फिर दूर नहीं बंसीवाले, फिर दूर नहीं मुरलीवाले॥

यहाँ श्यामा, वहाँ श्याम मिलें — कोई माने या ना माने,
श्याम दीवानी ये दुनिया, श्यामा के श्याम दीवाने।
श्यामा बसे वृंदावन में, श्याम हैं श्यामा के मन में,
अरे श्यामा जू को तू अपने मन में बसा ले,
फिर दूर नहीं बंसीवाले, फिर दूर नहीं मुरलीवाले॥

ये तीर्थ, परिक्रमा, और ये धुनी-ध्यान-समाधि,
एक राधा के नाम बिना — सब आधी की भी आधी।
बिन राधे सब धाम अधूरे, श्याम भी लगते अधूरे,
राधे की धुन में जो तू खुद को रमा ले,
फिर दूर नहीं बंसीवाले, फिर दूर नहीं मुरलीवाले॥

प्रेम के वश में बंसीवाले, भाव के भष में राधे,
‘राधे-राधे’ भजो भाव से, राधे ही श्याम मिला दे।
राधा हरे तेरी व्यथा, दूर करे हर इक बाधा,
खुद को कर दे जो तू राधे के हवाले,
फिर दूर नहीं बंसीवाले, फिर दूर नहीं मुरलीवाले॥


Man Ek Tara Hath Utha le || Vaidehi Goyal || मन इकतारा तू हाथ उठा ले || वैदेही गोयल...Sanskar Bhajan

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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