घर सों परसों की कहन गए श्याम

घर सों परसों की कहन गए श्याम

घर सों परसों की कहन गए श्याम,
ना आए बरसों बीत गए।
बरसों की तो कह गए मोहन,
किन्तु बीता दिए बरसों,
कब आवेगी बैरन परसों,
अखियन लागी तरसों,
अखियां लरसों निस दिन,
बरसे आठों याम
ना आए बरसों बीत गए,
घर सों परसों की कहन गए श्याम,
ना आये बरसों बीत गए।

ऋतु कंत आवे बसंत,
खेतन मैं फूली सरसों,
मिलन हेतु मैं मुरलीधर सों,
घर ही घर में तरसों,
राधा वर सों मेरो,
कह दीज्यो प्रणाम,
ना आए बरसों बीत गए,
घर सों परसों की कहन गए श्याम,
ना आये बरसों बीत गए।

उजड़ी मथुरा बस गई अब तो,
बस्ती गई उजड़ सों,
मथुरा वाली अपनी है गई,
राधा हे गई परसो,
मानों बृजवासी पे गयो,
विधाता हार,
ना आए बरसों बीत गए,
घर सों परसों की कहन गए श्याम,
ना आये बरसों बीत गए।

विषधर कालिया गयो है जब ते,
वंचित रही जहर सों,
मरने लायक नहीं रह गई,
लटकी रह अधर सों,
तड़पत रह गई गई,
गोपी कठिन कलेजा हार,
ना आए बरसों बीत गए,
घर सों परसों की कहन गए श्याम,
ना आये बरसों बीत गए।

घर सों परसों की कहन गए श्याम,
ना आए बरसों बीत गए।
बरसों की तो कह गए मोहन,
किन्तु बीता दिए बरसों,
कब आवेगी बैरन परसों,
अखियन लागी तरसों,
अखियां लरसों निस दिन,
बरसे आठों याम
ना आए बरसों बीत गए,
घर सों परसों की कहन गए श्याम,
ना आये बरसों बीत गए।


भजन श्रेणी : कृष्ण भजन (Krishna Bhajan)


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