ओ रे जादूगर श्याम तू बड़ोई जादूगर

ओ रे जादूगर श्याम तू बड़ोई जादूगर


ओ रे जादूगर श्याम, तू बड़ोई जादूगर।
तू बड़ोई जादूगर, तू बड़ोई जादूगर।

तेरा रोम-रोम, जादू की पिटारी नटवर,
तूने लूटी जादूगरी, बड़े-बड़ों के भी घर।
तूने लूटे परिकर, विधि-हरि-हर के घर।
ओ रे जादूगर श्याम...

तूने लूटे उमा, रमा, सरस्वती के घर,
तूने लूटे सनकादिक, ज्ञानियों के घर।
तूने लूटे सुध-बुध, मायामुक्त जन के घर।
ओ रे जादूगर श्याम...

तूने लूटे जनकादि, विदेहों के घर,
तूने लूटे निजजन, व्रजवासियों के घर।
तूने लूटे बड़े-बड़े, व्रजरसिकों के घर।
ओ रे जादूगर श्याम...

तूने लूटे कामयुक्त, प्रेमयुक्त जन के घर,
तूने लूटे जो बने हैं, तेरे उन्हीं के घर।
तूने लूटे बड़े-बड़े, जगद्गुरुओं के घर।
ओ रे जादूगर श्याम...

तूने लूटे जिन, उन्होंने भी लूटा तेरा घर,
तूने लूटे सब घर, राधा ने लूटा तेरा घर।
तूने लूटे क्यों कर न, कृपालु हृदय का घर।
ओ रे जादूगर श्याम...


Bhajan ओ रे जादूगर श्याम | रचना : जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज | स्वर : #श्रीकान्त_दास_जी_महाराज

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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