तेरे सर पर सीताराम फिकर फिर क्या करना
तेरे सर पर सीताराम,
फिकर फिर क्या करना,
तेरे बिगड़े बनेंगे काम,
फिकर फिर क्या करना,
तेरे सर पर सीताराम,
फ़िकर फिर क्या करना।
पितु रघुबर श्री जानकी मैया,
फिर क्यों परेशान हो भैया,
तेरे कटेगे कष्ट तमाम,
फिकर फिर क्या करना,
तेरे सर पर सीताराम,
फ़िकर फिर क्या करना।
जो जन रामकथा सतसंगी,
उनके सहायक श्री बजरंगी,
है अतुलित बल के धाम,
फिकर फिर क्या करना,
तेरे सर पर सीताराम,
फ़िकर फिर क्या करना।
अगर प्रभु मनमानी करेंगे,
नही शरणागत पीड़ हरेंगे,
होगा व्यर्थ बदनाम,
फिकर फिर क्या करना,
तेरे सर पर सीताराम,
फ़िकर फिर क्या करना।
तेरे सर पर सीताराम,
फ़िकर फिर क्या करना,
तेरे बिगड़े बनेंगे काम,
फिकर फिर क्या करना,
तेरे सर पर सीताराम,
फ़िकर फिर क्या करना।
फिकर फिर क्या करना,
तेरे बिगड़े बनेंगे काम,
फिकर फिर क्या करना,
तेरे सर पर सीताराम,
फ़िकर फिर क्या करना।
पितु रघुबर श्री जानकी मैया,
फिर क्यों परेशान हो भैया,
तेरे कटेगे कष्ट तमाम,
फिकर फिर क्या करना,
तेरे सर पर सीताराम,
फ़िकर फिर क्या करना।
जो जन रामकथा सतसंगी,
उनके सहायक श्री बजरंगी,
है अतुलित बल के धाम,
फिकर फिर क्या करना,
तेरे सर पर सीताराम,
फ़िकर फिर क्या करना।
अगर प्रभु मनमानी करेंगे,
नही शरणागत पीड़ हरेंगे,
होगा व्यर्थ बदनाम,
फिकर फिर क्या करना,
तेरे सर पर सीताराम,
फ़िकर फिर क्या करना।
तेरे सर पर सीताराम,
फ़िकर फिर क्या करना,
तेरे बिगड़े बनेंगे काम,
फिकर फिर क्या करना,
तेरे सर पर सीताराम,
फ़िकर फिर क्या करना।
भजन श्रेणी : राम भजन (Ram Bhajan)
फिकर फिर क्या करना भजन - आचार्य राजकृष्ण Fikar Phir Kya Karna Bhajan
कृपया करके इन भजनों को भी देखें.जीवन की हर चुनौती और परेशानी के बीच जब मनुष्य उस परम शक्ति के संरक्षण में विश्वास करता है, तो उसका मन शांति और निश्चिंतता से भर जाता है। यह विश्वास कि सर्वोच्च शक्ति, जो करुणा और प्रेम का सागर है, सदा अपने भक्तों के साथ है, सभी चिंताओं को दूर कर देता है। यह भावना मनुष्य को यह स्मरण कराती है कि जब वह उस दैवीय शक्ति के चरणों में शरण लेता है, तो उसके जीवन के सारे अवरोध और कठिनाइयाँ स्वतः ही समाप्त हो जाती हैं। यह एक गहरा आध्यात्मिक आश्वासन है, जो मनुष्य को सांसारिक चिंताओं से मुक्त कर उसकी ऊर्जा को भक्ति और सकारात्मक कर्म की ओर ले जाता है। यह विश्वास कि वह शक्ति सदा साथ है, जीवन को एक नई दिशा और अर्थ प्रदान करता है, जिससे हर कार्य में सफलता की आशा जागृत होती है।
जब मनुष्य सत्संग और भक्ति के मार्ग पर चलता है, तो उसे उस अनंत बल का सहारा मिलता है, जो असंभव को संभव बना देता है। यह शक्ति न केवल कष्टों को हरने वाली है, बल्कि अपने भक्तों को साहस और सामर्थ्य भी प्रदान करती है। वह दैवीय कृपा, जो शरणागत की हर पुकार सुनती है, कभी अपने भक्तों को निराश नहीं करती। यह विश्वास कि वह शक्ति स्वयं अपने भक्तों की पीड़ा हरने के लिए तत्पर है, मनुष्य के मन से भय और संदेह को मिटा देता है। इस भक्ति और शरणागति के बल पर मनुष्य अपने जीवन को कष्टों से मुक्त कर, प्रभु के प्रेम और करुणा में लीन हो जाता है, जिससे उसका जीवन आनंद और शांति से परिपूर्ण हो उठता है।
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Singer आचार्य राजकृष्ण
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Author - Saroj Jangir
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