जब कभी उलझन में हुआ उदास

जब कभी उलझन में हुआ उदास


जब कभी उलझन में हुआ उदास जिया मेरा,
सांवऱिया बहलाए,
इसको पुकार के बैठूं जब हार के,
दौड़ा-दौड़ा आए, मुस्काए, आए-आए।
इसको पुकार के बैठूं जब हार के,
जिया मेरा सांवऱिया बहलाए।

ख़ुद मेरे अपनों ने किया जब हताश,
जिया मेरा सांवऱिया बहलाए।
जब कभी उलझन में हुआ उदास,
जिया मेरा सांवऱिया बहलाए।

मेरा तो तू ही मेहरबान,
श्याम तू ही मेरा निगेबान।
मेरा जिगर, तू मेरी जा,
दूर तुझ बिन रह सकूं ना।

सांवरे, सांवरे, तेरे बिन मैं तो अधूरा हूँ रे।
सांवरे, सांवरे, मेरा दिल झूम-झूम गाए।

कभी भी तुमने न किया निराश,
जिया मेरा सांवऱिया बहलाए।
जब कभी उलझन में हुआ उदास,
जिया मेरा सांवऱिया बहलाए।

धन जो पाया है मैंने, चोर कभी लूट न पाए,
ढूंढा वो हीरा है मैंने, कोई कभी ढूंढ न पाए।

सांवरे, सांवरे, तेरे बिन मैं तो अधूरा हूँ रे।
सांवरे, सांवरे, मेरा दिल झूम-झूम गाए।

लेहरी मेरे जीवन में छाई बहार,
जिया मेरा सांवऱिया बहलाए।
जब कभी उलझन में हुआ उदास,
जिया मेरा सांवऱिया बहलाए।


Jab Kabhi Uljhan Me । जब कभी उलझन में । New Krishna Bhajan 2016 । Uma Lahari

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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