मुझे अपना ले नंदलाल तुझ संग प्रीत लगी

मुझे अपना ले नंदलाल तुझ संग प्रीत लगी


मुझे अपना ले नंदलाल, तुझ संग प्रीत लगी।
हुई मैं पाकर तुझे निहाल, तुझ संग प्रीत लगी।।

बीच मंझधार मेरी नाव, है पतवार भी गुम।
तेरे भरोसे हूँ गोपाल, तुझ संग प्रीत लगी।।
हुई मैं पाकर तुझे निहाल, तुझ संग प्रीत लगी।
मुझे अपना ले नंदलाल, तुझ संग प्रीत लगी।।

नाम तेरा जपूँ निसदिन, ऐसी रटन लगे।
रहे तेरा ही बस ख़याल, तुझ संग प्रीत लगी।।
हुई मैं पाकर तुझे निहाल, तुझ संग प्रीत लगी।
मुझे अपना ले नंदलाल, तुझ संग प्रीत लगी।।

अधर पे बंसी हो मोहन, संग राधा दिखे।
हो जब ये साँसें मेरी बेहाल, तुझ संग प्रीत लगी।।
हुई मैं पाकर तुझे निहाल, तुझ संग प्रीत लगी।
मुझे अपना ले नंदलाल, तुझ संग प्रीत लगी।।

इश्क में तेरे हूँ पागल, न कोई ख़ैर-ख़बर।
मैं हूँ दरिया, तू है सागर, तुझ संग प्रीत लगी।।
हुई मैं पाकर तुझे निहाल, तुझ संग प्रीत लगी।
मुझे अपना ले नंदलाल, तुझ संग प्रीत लगी।।


Mujhe Apna le Nandlal, tujh sang prit lagi...... मुझे अपना ले नंदलाल तुझ संग प्रीत लगी

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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