वो पर्दे के पीछे जो पर्दा नशीं है भजन

वो पर्दे के पीछे जो पर्दा नशीं है भजन

बहुत दिन से सुनकर, के तारीफ़ तेरी,
बहुत दिन से सुनकर, तारीफ़ तुम्हारी,
शरण आ गया,  श्याम सुन्दर तुम्हारी,
जो अब टाल दोगे, मुझे अपने दर से,
तो होगी हँसी,  नाथ दर दर तुम्हारी,
सुना है की उनको, ना करुणा सताती,
जो रहते हैं करुणा, नज़र में तुम्हारी,
यही प्रार्थना है, यही याचना है,
जुदा हूँ ना,  नज़रों से पल भर तुम्हारी,
ये दृग बिंदु तुमको, खबर दे रहे हैं,
की है याद दिल में,  बराबर तुम्हारी,

वो पर्दे के पीछे जो पर्दा नशीं है,
मेरा सांवरा है वो मुझको यकीं है।
वो परदे के पीछे जो पर्दा नशीं है,
मेरा सांवरा है वो मुझको यकीं है।

पर्दे में रहने की आदत पड़ी है,
रुलाने की रिझाने की आदत पड़ी है,
दिल लूटन लेने का, बड़ा ही शौकी है,
वो पर्दे के पीछे जो पर्दा नशीं है,
मेरा सांवरा है वो मुझको यकीं है।

तलबगार उसका है सारा जमाना,
कोई उसका पागल है, कोई है दीवाना,
जलवा ए दीदार जोहरे जबीं  है
वो पर्दे के पीछे जो पर्दा नशीं है,
मेरा सांवरा है वो मुझको यकीं है।

हर कोई बैठा है पलके बिछाए,
कब बाहर आए वो कब बाहर आए,
आएगा बाहर वो यही है कहीं है,
वो पर्दे के पीछे जो पर्दा नशीं है,
मेरा सांवरा है वो मुझको यकीं है।

बढ़ती मधुप जब दिल ए बेक़रारी,
आता है बाहर हो बांके बिहारी,
रंगीला रसीला हो बड़ा ही हंसी है,
वो पर्दे के पीछे जो पर्दा नशीं है,
मेरा सांवरा है वो मुझको यकीं है।


भजन श्रेणी : कृष्ण भजन (Krishna Bhajan)


वो पर्दे के पीछे पर्दा नशी है मेरा साँवरा है वो ये मुझको यकीन है | 5.2.2021 | ऊना हिमाचल | बृज भाव

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