चलो मन वृन्दावन की ओर भजन
चलो मन, वृन्दावन की ओर,
चलो मन, वृन्दावन की ओर,
प्रेम का रस जहाँ छलके है,
कृष्णा नाम से भोर,
चलो मन, वृन्दावन की ओर।
भक्ति की रीत जहाँ पल पल है,
प्रेम प्रीत की डोर,
राधे राधे जपते जपते,
दिख जाए चित्तचोर,
चलो मन, वृन्दावन की ओर।
उषा की लाली के संग जहाँ,
कृष्णा कथा रस बरसे,
राधा रास बिहारी के मंदिर,
जाते ही मनवा हरषे,
बृज की माटी चंदन जैसी,
मान हो जावे विभोर,
चलो मन, वृन्दावन की ओर।
वन उपवन में कृष्णा की छाया,
शीतल मन हो जाये,
मन भी हो जाए अति पावन,
कृष्णा कृपा जो पाये,
दास नारायण अब शरण तुम्हारे,
कृपा करो इस ओर,
चलो मन, वृन्दावन की ओर।
चलो मन, वृन्दावन की ओर,
चलो मन, वृन्दावन की ओर,
प्रेम का रस जहाँ छलके है,
कृष्णा नाम से भोर,
चलो मन, वृन्दावन की ओर।
प्रेम का रस जहाँ छलके है,
कृष्णा नाम से भोर,
चलो मन, वृन्दावन की ओर।
भक्ति की रीत जहाँ पल पल है,
प्रेम प्रीत की डोर,
राधे राधे जपते जपते,
दिख जाए चित्तचोर,
चलो मन, वृन्दावन की ओर।
उषा की लाली के संग जहाँ,
कृष्णा कथा रस बरसे,
राधा रास बिहारी के मंदिर,
जाते ही मनवा हरषे,
बृज की माटी चंदन जैसी,
मान हो जावे विभोर,
चलो मन, वृन्दावन की ओर।
वन उपवन में कृष्णा की छाया,
शीतल मन हो जाये,
मन भी हो जाए अति पावन,
कृष्णा कृपा जो पाये,
दास नारायण अब शरण तुम्हारे,
कृपा करो इस ओर,
चलो मन, वृन्दावन की ओर।
चलो मन, वृन्दावन की ओर,
चलो मन, वृन्दावन की ओर,
प्रेम का रस जहाँ छलके है,
कृष्णा नाम से भोर,
चलो मन, वृन्दावन की ओर।
भजन श्रेणी : कृष्ण भजन (Krishna Bhajan)
Krishna Bhajan - Chalo Man Vrindavan Ki Aur By Govind Ji Bhargav
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Author - Saroj Jangir
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