खेल हैं जग से निराले मोहन मुरली वाले

खेल हैं जग से निराले मोहन मुरली वाले

खेल हैं जग से निराले,
मोहन मुरली वाले,
खेल हैं जग से निराले,
मोहन मुरली वाले।

पहले खेल रचे मोहन ने,
खुल गये जेल के ताले,
मोहन मुरली वाले,
खेल हैं जग से निराले,
मोहन मुरली वाले।

दूजे खेल रचे मोहन ने,
जमुना ने चरण पखारे,
मोहन मुरली वाले,
खेल हैं जग से निराले,
मोहन मुरली वाले।

तीजे खेल रचे मोहन ने,
आय पूतना मारे,
मोहन मुरली वाले,
खेल हैं जग से निराले,
मोहन मुरली वाले।

चौथी खेल रचे मोहन ने,
काले नाग नाथ डारे,
मोहन मुरली वाले,
खेल हैं जग से निराले,
मोहन मुरली वाले।

पांचवे खेल रचे मोहन ने,
नख पर गिरिवर धारे,
मोहन मुरली वाले,
खेल हैं जग से निराले,
मोहन मुरली वाले।

छठवीं खेल रचे मोहन ने,
जाये कंस को मारे,
मोहन मुरली वाले,
खेल हैं जग से निराले,
मोहन मुरली वाले।

सब तो कहते कारे कारे,
हमको प्राणों से प्यारे,
मोहन मुरली वाले,
खेल हैं जग से निराले,
मोहन मुरली वाले।

खेल हैं जग से निराले,
मोहन मुरली वाले,
खेल हैं जग से निराले,
मोहन मुरली वाले।

KHEL HAI JAG SE NIRALE MOHAN MURALI WALEखेल हैं जग से निराले मोहन मुरली वाले लिरिक्स Khel Hain Jag Ke Nirale Lyrics
Next Post Previous Post