मन बैचैन हुआ रे तेरे दर्शन को

मन बैचैन हुआ रे तेरे दर्शन को

मन बेचैन हुआ रे तेरे दर्शन को,
मन बेचैन हुआ रे तेरे दर्शन को।
पार करने हैं दस दरवाज़े,
हो, पार करने हैं दस दरवाज़े,
प्रभु जी, मन बेचैन हुआ रे तेरे दर्शन को,
मन बेचैन हुआ रे तेरे दर्शन को।।

पहली सीढ़ी पे बैठूं ध्यान लगाए,
दूसरी पे मन में उजाला भर जाए,
तीसरी पे लाखों सूरज रोशनी उगाए,
चौथी सीढ़ी पर गीत झरने भी गाएं,
प्रभु जी, मन बेचैन हुआ रे तेरे दर्शन को,
मन बेचैन हुआ रे तेरे दर्शन को।।

पाँचवीं पे गूंजे झंकार की सदाएं,
छठवीं पे धरती का स्वर्ग लहराए,
सातवीं सीढ़ी पे प्रेम ज्योत जगमाए,
आठवीं पे मन निर्मल हो जाए,
प्रभु जी, मन बेचैन हुआ रे तेरे दर्शन को,
मन बेचैन हुआ रे तेरे दर्शन को।।

नौवीं पे मन की हर तृष्णा मिट जाए,
दसवीं सीढ़ी पे तेरा दर्शन हो जाए,
जो भी ये दरवाज़े पार कर जाए,
उसको तो जीवन में मोक्ष मिल जाए,
प्रभु जी, मन बेचैन हुआ रे तेरे दर्शन को,
मन बेचैन हुआ रे तेरे दर्शन को।।

मन बेचैन हुआ रे तेरे दर्शन को,
मन बेचैन हुआ रे तेरे दर्शन को।।


Mann Bechain Hua Tere Darshan Ko | Sudesh Khurana | Radhe Krishna Bhajan | New Divine Song

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Singer: Sudesh Khurana
Music Director: Utsav Nanda
Lyrics: Shyamraj

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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