सखी री बांके बिहारी से हमारी लड़ गयी अंखियाँ

सखी री बांके बिहारी से हमारी लड़ गयी अंखियाँ

 
सखी री बांके बिहारी से हमारी लड़ गयी अंखियाँ

सखि री बाँके बिहारी से हमारी लड़ गई अखियाँ~
बचाई थी बहुत लेकिन निगोड़ी लड़ गई अखियाँ।।

ना जाने क्या किया जादू, यह तकती रह गई अखियाँ~
चमकती हाय बरछी सी, कलेजे गड़ गई अखियाँ~
सखि री बाँके बिहारी से हमारी लड़ गई अखियाँ~
बचाई थी बहुत लेकिन निगोड़ी लड़ गई अखियाँ।।

चहुँ दिश रस भरी चितवन मेरी आँखों में लाते हो~
कहो कैसे कहाँ जाऊँ, यह पीछे पड़ गई अखियाँ~
सखि री बाँके बिहारी से हमारी लड़ गई अखियाँ~
बचाई थी बहुत लेकिन निगोड़ी लड़ गई अखियाँ।।

भले यह तन से निकले प्राण, मगर यह छवि ना निकलेगी~
अँधेरें मन के मंदिर में मणि सी गड़ गई अखियाँ~
सखि री बाँके बिहारी से हमारी लड़ गई अखियाँ~
बचाई थी बहुत लेकिन निगोड़ी लड़ गई अखियाँ।।


सखी‌ री बांकें बिहारी से रसिक पागल मामा 9991515880

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Saroj Jangir Author Admin - Saroj Jangir

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