प्रभु कैसा खेल रचाया है भजन लिरिक्स Prabhu Ne Kaisa Khel Rachaya Lyrics

प्रभु कैसा खेल रचाया है भजन लिरिक्स Prabhu Ne Kaisa Khel Rachaya Lyrics

प्रभु कैसा खेल रचाया है,
ये मेरी समझ नहीं आया है,
प्रभु कैसा खेल रचाया है,
ये मेरी समझ नहीं आया है.....।

तूने कैसे तो आकाश बनाए,
तूने कैसे तो आकाश बनाये,
नहीं खंभा एक लगाया है,
ये मेरी समझ नहीं आया है,
प्रभु कैसा खेल रचाया है,
ये मेरी समझ नहीं आया है.....।

तूने तरह तरह के पेड़ बनाये,
तूने तरह तरह के पेड़ बनाए,
तू बीज कहां से लाया है,
ये मेरी समझ नहीं आया है,
प्रभु कैसा खेल रचाया है,
ये मेरी समझ नहीं आया है.....।

तूने तरह तरह के फूल खिलाये,
तूने तरह तरह के फूल ख़िलाए,
तू रंग कहां से लाया है,
ये मेरी समझ नहीं आया है,
प्रभु कैसा खेल रचाया है,
ये मेरी समझ नहीं आया है.....।

तूने तरह तरह के भोग बनाये,
तूने तरह तरह के भोग बनाए,
तू स्वाद कहां से लाया है,
ये मेरी समझ नहीं आया है,
प्रभु कैसा खेल रचाया है,
ये मेरी समझ नहीं आया है.....।

तूने तरह तरह के मानुष बनाये,
तूने तरह तरह के मानुष बनाए,
तू जीव कहां से लाया है,
ये मेरी समझ नहीं आया है,
प्रभु कैसा खेल रचाया है,
ये मेरी समझ नहीं आया है.....।

तूने अलग अलग सब भाग्य बनाये,
तूने अलग अलग सब भाग्य बनाए,
तकदीर कहां से लाया है,
ये मेरी समझ नहीं आया है,
प्रभु कैसा खेल रचाया है,
ये मेरी समझ नहीं आया है.....।

प्रभु कैसा खेल रचाया है,
ये मेरी समझ नही आया है,
प्रभू कैसा ख़ेल रचाया है,
ये मेरी समझ नहीं आया है.....।




प्रभु कैसा खेल रचाया है ये मेरी समझ नहीं आया है | Prabhu Kaisa Khel Rachaya Hai | Simran Rathoreप्रभु कैसा खेल रचाया है भजन लिरिक्स Prabhu Ne Kaisa Khel Rachaya Lyrics

Next Post Previous Post
No Comment
Add Comment
comment url