ओ मोर बोलते बोलतियाँ कोइलें भजन
ओ मोर बोलते बोलतियाँ कोइलें भजन
ओ मोर, बोलते बोलतियाँ कोइलें,
वे तेरे, दरबार जोगिया।।
ओ वे मैं, बीच जंगलों के टोहलें,
वे तेरे, दरबार जोगिया।।
ओ मोर, बोलते बोलतियाँ कोइलें।।
ओ बड़ा चिर हो गया, दीदार तेरे हुए ना।।
ओ कैहड़ा दिन चंदरा, जो नैन मेरे रोए ना।।
दस् किसके साथ, दिल कीयाँ फोलें,
वे तेरे, दरबार जोगिया।।
ओ मोर, बोलते बोलतियाँ कोइलें।।
ओ दूरों दूरों चलके, संगत दर आती है।।
ओ तेरे दर आके बाबा, दुखड़े सुनाती है।।
ओ मैं भी, नाले तेरे दुखड़े फरोले,
वे तेरे, दरबार जोगिया।।
ओ मोर, बोलते बोलतियाँ कोइलें।।
ओ नंगे, पैर संभाल ले वेहड़ा,
बाबे जोगी ने, आना दो घड़ियाँ।।
वे आना दो घड़ियाँ, वे आना दो घड़ियाँ।।
ओ नंगे, पैर संभाल ले वेहड़ा।।
ओ बौरही बौरही वे, गुफ़ा तलाइयों के मालिक,
तेरे हाथ डोरें मेरीयाँ।।
ओ तैनू, याद बच्चों संगतों ने किया,
वे यहाँ बौरही, बोरड़ों वालिया।।
ओ सदा लोड़, भगतों को है तेरी,
तलाइयों में, रहने वालियों।।
ओ जोगी पूछता, पहाड़ों आके,
कि क्या बात, हो गई भगतो।।
ओ बाबा जोगी, बैठ गया बोरड़ों के नीचे आके,
मुरादों वाले, नीचे बैठ गए।।
ओ जैसे, पिछलियों संगतों तारियाँ,
उसी तरह, तारो बाबा जी।।
ओ तेरा, लाल मंदिरों में खेड़े,
रखियो, खयाल बाबा जी।।
तैनू बाबा जोगी जी, किसे नहीं कहना,
यदि तू मेरी, लाज न रखी।।
ओ मेरा, कुछ न गरीब का जाना,
वे धक्के ठेड़े पड़ने, तेरे नाम को।।
ओ नंगे, पैर संभाल ले वेहड़ा,
बाबे जोगी ने, आना दो घड़ियाँ।।
ओ अब, तारो तारनहार,
वेला, तेरे आवण का।।
ओ बाबा अब, आ जा गुफ़ा से बाहर,
वेला, तेरे आवण का।।
ओ अब, तारो तारनहार,
वेला, तेरे आवण का।।
ओ आसन पर, बाबा फूलों वाली वासना।।
ओ फूलों वाली वासना, जी फूलों वाली वासना।।
ओ आसन पर, बाबा फूलों वाली वासना।।
ओ फूलों वाली वासना, जी फूलों वाली वासना।।
ओ आसन पर, बाबा फूलों वाली वासना।।
ओ भीतर, अखाड़े में आ जा,
यदि तू दाता है लाखों का।।
ओ भीतर, अखाड़े में आ जा,
यदि तू दाता है टिल्ले का।।
दाता है, टिल्ले का यदि तू, बाबा है टिल्ले का।।
ओ भीतर, अखाड़े में आ जा,
यदि तू दाता है टिल्ले का।।
वे तेरे, दरबार जोगिया।।
ओ वे मैं, बीच जंगलों के टोहलें,
वे तेरे, दरबार जोगिया।।
ओ मोर, बोलते बोलतियाँ कोइलें।।
ओ बड़ा चिर हो गया, दीदार तेरे हुए ना।।
ओ कैहड़ा दिन चंदरा, जो नैन मेरे रोए ना।।
दस् किसके साथ, दिल कीयाँ फोलें,
वे तेरे, दरबार जोगिया।।
ओ मोर, बोलते बोलतियाँ कोइलें।।
ओ दूरों दूरों चलके, संगत दर आती है।।
ओ तेरे दर आके बाबा, दुखड़े सुनाती है।।
ओ मैं भी, नाले तेरे दुखड़े फरोले,
वे तेरे, दरबार जोगिया।।
ओ मोर, बोलते बोलतियाँ कोइलें।।
ओ नंगे, पैर संभाल ले वेहड़ा,
बाबे जोगी ने, आना दो घड़ियाँ।।
वे आना दो घड़ियाँ, वे आना दो घड़ियाँ।।
ओ नंगे, पैर संभाल ले वेहड़ा।।
ओ बौरही बौरही वे, गुफ़ा तलाइयों के मालिक,
तेरे हाथ डोरें मेरीयाँ।।
ओ तैनू, याद बच्चों संगतों ने किया,
वे यहाँ बौरही, बोरड़ों वालिया।।
ओ सदा लोड़, भगतों को है तेरी,
तलाइयों में, रहने वालियों।।
ओ जोगी पूछता, पहाड़ों आके,
कि क्या बात, हो गई भगतो।।
ओ बाबा जोगी, बैठ गया बोरड़ों के नीचे आके,
मुरादों वाले, नीचे बैठ गए।।
ओ जैसे, पिछलियों संगतों तारियाँ,
उसी तरह, तारो बाबा जी।।
ओ तेरा, लाल मंदिरों में खेड़े,
रखियो, खयाल बाबा जी।।
तैनू बाबा जोगी जी, किसे नहीं कहना,
यदि तू मेरी, लाज न रखी।।
ओ मेरा, कुछ न गरीब का जाना,
वे धक्के ठेड़े पड़ने, तेरे नाम को।।
ओ नंगे, पैर संभाल ले वेहड़ा,
बाबे जोगी ने, आना दो घड़ियाँ।।
ओ अब, तारो तारनहार,
वेला, तेरे आवण का।।
ओ बाबा अब, आ जा गुफ़ा से बाहर,
वेला, तेरे आवण का।।
ओ अब, तारो तारनहार,
वेला, तेरे आवण का।।
ओ आसन पर, बाबा फूलों वाली वासना।।
ओ फूलों वाली वासना, जी फूलों वाली वासना।।
ओ आसन पर, बाबा फूलों वाली वासना।।
ओ फूलों वाली वासना, जी फूलों वाली वासना।।
ओ आसन पर, बाबा फूलों वाली वासना।।
ओ भीतर, अखाड़े में आ जा,
यदि तू दाता है लाखों का।।
ओ भीतर, अखाड़े में आ जा,
यदि तू दाता है टिल्ले का।।
दाता है, टिल्ले का यदि तू, बाबा है टिल्ले का।।
ओ भीतर, अखाड़े में आ जा,
यदि तू दाता है टिल्ले का।।
DERA SIDH SHRI BABA BALAK NATH JI
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Admin - Saroj Jangir
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