आली री मोहे लागे वृन्दावन नीको

आली री मोहे लागे वृन्दावन नीको

आली री मोहे लागे वृन्दावन नीको,
घर घर तुलसी ठाकुर सेवा,
दर्शन गोविंद जिको
आली री मोहे लागे वृन्दावन नीको।

निर्मल नीर बहत यमुना को,
भोजन दूध दही को,
आली री मोहै लागे वृन्दावन नीको।

रतन सिंहासन आप विराजे,
मुकुट धरे तुलसी को,
आली री मोहै लागे वृन्दावन नीको।

कुंजन कुंजन फिरत राधिका,
शब्द सुनत मुरली को,
आली री मोहै लागे वृन्दावन नीको।

मीरा के प्रभु गिरधर नागर,
भजन बिना नर फीको,
आली री मोहै लागे वृन्दावन नीको।
आली री मोहे लागे वृन्दावन नीको,
घर घर तुलसी ठाकुर सेवा,
दर्शन गोविंद जिको
आली री मोहे लागे वृन्दावन नीको।



आली री मोहे लागे वृन्दावन निको aali mohe lage vrindavan Niko by sriRadhe Bhardwaj Laxmanji Harsolaw

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