मिलन को दिल तरसता है, विरह का ये घना बादल, इन आंखों से बरसता है, कहां तुम जा छिपे मोहन, मिलन को दिल तरसता है, विरह का ये घना बादल, इन आंखों से बरसता है।
क्यों नजरो से हुये ओझल, खता क्या थी मेरी मोहन,
ये कैसा जाम उलफत का, भरे बिन जो झलकता है, कहां तुम जा छिपे मोहन, मिलन को दिल तरसता है, विरह का ये घना बादल, इन आंखों से बरसता है।
ये माना मैं नहीं काबिल, कभी थी तेरी रहमत के, करो थोड़ा करम फिर भी, ये दिल रह रह तरसता है, कहां तुम जा छिपे मोहन, मिलन को दिल तरसता है, विरह का ये घना बादल,
Krishna Bhajan Lyrics Hindi
इन आंखों से बरसता है।
ना ठुकराओ मेरे प्यारे, लिपट जाने दो चरणों से, तेरे चरणो की धुली से, ये दिल थोड़ा संभलता है, कहां तुम जा छिपे मोहन, मिलन को दिल तरसता है, विरह का ये घना बादल, इन आंखों से बरसता है।
लगाकर प्रेम का फंदा, नजर से क्यों हटा डाला, जकड़ लो जाल में प्रेमी,
दिवाना दिल मचलता है, कहां तुम जा छिपे मोहन, मिलन को दिल तरसता है, विरह का ये घना बादल, इन आंखों से बरसता है।
कहां तुम जा छिपे मोहन, मिलन को दिल तरसता है, विरह का ये घना बादल, इन आंखों से बरसता है।
कहाँ तुम जा छिपे मोहन, मिलन को दिल तरसता है, विरह का ये घना बादल, इन आँखों से बरसता है,
कहां तुम जा छिपे मोहन मिलन को दिल तरसता है Arushi Gambhir Bhajan Virah Bhav | Bhav Pravah