नीलकंठ पर्वत पर चढ़ गयो रे लिरिक्स Neelkanth Parwat Par Lyrics

नीलकंठ पर्वत पर चढ़ गयो रे लिरिक्स Neelkanth Parwat Par Lyrics, Neelkanth Parwat Par Chadh Gayo Re

 
नीलकंठ पर्वत पर चढ़ गयो रे लिरिक्स Neelkanth Parwat Par Lyrics

नीलकंठ पर्वत पर चढ़ गयो रे,
आज भोला फूलों से सज गयो रे,
नीलकंठ पर्वत पर चढ़ गयो रे,
आज भोला बेल पत्तों से सज गयो रे।

भोले की जटा मैं गंगा विराजे,
गंगा से अमृत बरस गयो रे,
आज भोला फूलों से सज गयो रे

नीलकंठ पर्वत पर चढ़ गयो रे,
आज भोला बेल पत्तों से सज गयो रे।

भोले के गले मैं मुंडो की माला,
गले में सर्प लिपट गयो रे,
आज भोला फूलों से सज गयो रे,
नीलकंठ पर्वत पर चढ़ गयो रे,
आज भोला बेल पत्तों से सज गयो रे।

भोले के हाथों मैं त्रिशूल विराजे,
त्रिशूल में डमरू लटक गयो रे,
आज भोला फूलों से सज गयो रे,
नीलकण्ठ पर्वत पर चढ़ गयो रे,
आज भोला बेल पत्तों से सज गयो रे।

भोले के संग मैं गौरा विराजे,
गोदी मैं गणपति बैठ गयो रे,
आज भोला फूलों से सज गयो रे

नीलकण्ठ पर्वत पर चढ़ गयो रे,
आज भोला बेल पत्तों से सज गयो रे।

नीलकंठ पर्वत पर चढ गयो रै,
आज भोला फूलों से सज गयो रै,
नीलकंठ पर्वत पर चढ़ गयो रै,
आज भोला बेल पत्तों से सज गयो रे।
नीलकंठ पर्वत पर चढ़ गयो रे,
आज भोला फूलों से सज गयो रे,
नीलकंठ पर्वत पर चढ़ गयो रे,
आज भोला बेल पत्तों से सज गयो रे।

भगवान श्री शिव को नीलकंठ कहा जाता है, जिसका अर्थ संस्कृत में "नीला कंठ, नीले कंठ (गला) वाला" होता है। देवताओं और राक्षसों ने अमरत्व का अमृत प्राप्त करने के लिए ब्रह्मांडीय महासागर का मंथन किया, तो उसमें से हलाहला नामक विष भी निकला। विष इतना अधिक विषैला था कि यह पूरे ब्रह्मांड को नष्ट कर सकता था, और देवता और दानव असमंजस में थे कि इसका क्या किया जाए। भगवान शिव तब आगे आए और ब्रह्मांड को बचाने के लिए जहर पी लिया।

शिवरात्रि भजन | नीलकंठ पर्वत पर चढ़ गयो रे आज भोला फूलों से सज गयो रे | Shiv Bhajan | Sheela Kalson

■ Title ▹Neelkanth Parvat Par Chad Gayo Re Aaj Bhola Phulo Se Saj Gayo Re
■ Artist ▹Sonia
■ Singer ▹ Sheela Kalson
■ Music ▹ Pardeep Panchal
■ Lyrics & Composer ▹ Traditional
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