मैया रानी से मिलना बड़ा जरुरी
मैया रानी से,
मिलना बड़ा जरुरी,
मैया रानी से,
मिलना बड़ा जरुरी।
जो मैं होती पवन बंसती,
झोंका बनकर आती,
हो मैया रानी की चुनरी को,
लहर लहर लहराती,
बन ना सकी मैं,
हवा का झोंका,
ये मेरी मजबूरी,
मैया रानी से,
मिलना बड़ा जरुरी।
जो मैं होती काली बदरिया,
छम छम नीर बहाती,
बरस बरस कर,
गरज गरज कर,
मैया को नहलाती,
बन ना सकी मैं,
काली बदरिया,
ये मेरी मजबूरी,
मैया रानी से,
मिलना बड़ा जरुरी।
जो मैं होती वन को मोरनी,
छम छम नाच दिखाती,
नाच नाच कर कूद कूद कर,
मैया जी को रिझाती,
बन ना सकी मैं,
वन की मोरनी,
ये मेरी मजबूरी,
मैया रानी से,
मिलना बड़ा जरुरी।
जो मैं तेरा पता जानती,
खत लिखती भिजवाती,
सब रसकन को संग में लेकर,
तुमसे मिलने आती,
पता मेरे पास नही,
ये मेरी मजबूरी,
मैया रानी से,
मिलना बड़ा जरुरी।
मैया रानी से,
मिलना बड़ा जरुरी,
मैया रानी से,
मिलना बड़ा जरुरी।
मिलना बड़ा जरुरी,
मैया रानी से,
मिलना बड़ा जरुरी।
जो मैं होती पवन बंसती,
झोंका बनकर आती,
हो मैया रानी की चुनरी को,
लहर लहर लहराती,
बन ना सकी मैं,
हवा का झोंका,
ये मेरी मजबूरी,
मैया रानी से,
मिलना बड़ा जरुरी।
जो मैं होती काली बदरिया,
छम छम नीर बहाती,
बरस बरस कर,
गरज गरज कर,
मैया को नहलाती,
बन ना सकी मैं,
काली बदरिया,
ये मेरी मजबूरी,
मैया रानी से,
मिलना बड़ा जरुरी।
जो मैं होती वन को मोरनी,
छम छम नाच दिखाती,
नाच नाच कर कूद कूद कर,
मैया जी को रिझाती,
बन ना सकी मैं,
वन की मोरनी,
ये मेरी मजबूरी,
मैया रानी से,
मिलना बड़ा जरुरी।
जो मैं तेरा पता जानती,
खत लिखती भिजवाती,
सब रसकन को संग में लेकर,
तुमसे मिलने आती,
पता मेरे पास नही,
ये मेरी मजबूरी,
मैया रानी से,
मिलना बड़ा जरुरी।
मैया रानी से,
मिलना बड़ा जरुरी,
मैया रानी से,
मिलना बड़ा जरुरी।
नवरात्रि भजन | मईया रानी से मिलना बड़ा जरुरी | Mata Bhajan | Navratri Bhajan | Kajal Malik
Title ▹Maiya Rani Se Milna Bada Jaruri
Artist ▹Vijay Luxmi
Singer ▹ Kajal Malik
Music ▹ Pardeep Panchal
Lyrics & Composer ▹ Traditional
नवरात्रि अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र पर्व है, जो 'नौ रातों' तक देवी दुर्गा के नौ विभिन्न स्वरूपों की पूजा और आराधना के लिए समर्पित है। यह उत्सव साल में दो बार, चैत्र और आश्विन (शारदीय नवरात्रि) के महीने में, बड़े उल्लास और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इन नौ दिनों के दौरान भक्तजन उपवास रखते हैं, देवी के मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना और अनुष्ठान करते हैं, तथा यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की विजय और दैवीय शक्ति के जागरण का प्रतीक माना जाता है। गुजरात में गरबा और डांडिया जैसे रंगारंग लोक नृत्यों के साथ इस पर्व को मनाने का विशेष महत्व है, और दसवें दिन, जिसे विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है, शक्ति और धर्म की जीत का संदेश देता है, जो जीवन में आत्मशुद्धि और साहस का संचार करता है।
'सर्वमंगल मांगल्ये'
"सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोऽस्तु ते॥" अर्थ: हे नारायणी! तुम सब प्रकार का मंगल प्रदान करने वाली मंगलमयी हो, तुम कल्याणदायिनी शिवा हो, तुम सब पुरुषार्थों (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष) को सिद्ध करने वाली हो। तुम शरणागतों की रक्षा करने वाली, तीन नेत्रों वाली, गौरी हो। हे माँ, तुम्हें बारम्बार नमस्कार है। महत्व: यह श्लोक दुर्गा माँ की सार्वभौमिक शक्ति और कल्याणकारी स्वरूप को दर्शाता है। इसे किसी भी शुभ कार्य या दैनिक पूजा से पहले जपने का महत्व है, क्योंकि यह भक्त को सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति दिलाकर जीवन में हर प्रकार के मंगल और सफलता को सुनिश्चित करता है। यह श्लोक स्पष्ट करता है कि माँ दुर्गा ही परम शक्ति हैं, जो शरणागतों को आश्रय देती हैं और तीनों लोकों में कल्याण का विधान करती हैं।
'या देवी सर्वभूतेषु'
"या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥" अर्थ: जो देवी सभी प्राणियों में 'शक्ति' (ऊर्जा/बल) के रूप में निवास करती हैं, उनको नमस्कार है, उनको नमस्कार है, उनको बारम्बार नमस्कार है। (इसी प्रकार इस श्लोक में 'शक्ति' के स्थान पर 'बुद्धि', 'दया', 'चेतना', 'शांति' आदि स्वरूपों का भी उल्लेख आता है।) महत्व: यह श्लोक देवी माँ को केवल मंदिर तक सीमित न रखकर उन्हें सृष्टि के कण-कण में, विशेषकर हर प्राणी में मौजूद विभिन्न गुणों और शक्तियों के रूप में स्थापित करता है। इसका पाठ करने से भक्त यह अनुभव करता है कि माँ दुर्गा केवल एक रूप नहीं, बल्कि जीवन की सभी महत्वपूर्ण भावनाओं और क्षमताओं (जैसे बुद्धि, शक्ति, शांति) का मूल स्रोत हैं। इस श्लोक का जप करने से भक्त में स्वयं उन दैवीय गुणों का विकास होता है, जिससे वह भयमुक्त होकर सद्बुद्धि प्राप्त करता है और आत्म-सम्मान के साथ जीवन व्यतीत करता है।
"सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोऽस्तु ते॥" अर्थ: हे नारायणी! तुम सब प्रकार का मंगल प्रदान करने वाली मंगलमयी हो, तुम कल्याणदायिनी शिवा हो, तुम सब पुरुषार्थों (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष) को सिद्ध करने वाली हो। तुम शरणागतों की रक्षा करने वाली, तीन नेत्रों वाली, गौरी हो। हे माँ, तुम्हें बारम्बार नमस्कार है। महत्व: यह श्लोक दुर्गा माँ की सार्वभौमिक शक्ति और कल्याणकारी स्वरूप को दर्शाता है। इसे किसी भी शुभ कार्य या दैनिक पूजा से पहले जपने का महत्व है, क्योंकि यह भक्त को सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति दिलाकर जीवन में हर प्रकार के मंगल और सफलता को सुनिश्चित करता है। यह श्लोक स्पष्ट करता है कि माँ दुर्गा ही परम शक्ति हैं, जो शरणागतों को आश्रय देती हैं और तीनों लोकों में कल्याण का विधान करती हैं।
'या देवी सर्वभूतेषु'
"या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥" अर्थ: जो देवी सभी प्राणियों में 'शक्ति' (ऊर्जा/बल) के रूप में निवास करती हैं, उनको नमस्कार है, उनको नमस्कार है, उनको बारम्बार नमस्कार है। (इसी प्रकार इस श्लोक में 'शक्ति' के स्थान पर 'बुद्धि', 'दया', 'चेतना', 'शांति' आदि स्वरूपों का भी उल्लेख आता है।) महत्व: यह श्लोक देवी माँ को केवल मंदिर तक सीमित न रखकर उन्हें सृष्टि के कण-कण में, विशेषकर हर प्राणी में मौजूद विभिन्न गुणों और शक्तियों के रूप में स्थापित करता है। इसका पाठ करने से भक्त यह अनुभव करता है कि माँ दुर्गा केवल एक रूप नहीं, बल्कि जीवन की सभी महत्वपूर्ण भावनाओं और क्षमताओं (जैसे बुद्धि, शक्ति, शांति) का मूल स्रोत हैं। इस श्लोक का जप करने से भक्त में स्वयं उन दैवीय गुणों का विकास होता है, जिससे वह भयमुक्त होकर सद्बुद्धि प्राप्त करता है और आत्म-सम्मान के साथ जीवन व्यतीत करता है।
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