भांग ना घोटी जाए रे भोले

भांग ना घोटी जाए रे भोले

ये भांग ना घोटी जाए रे भोले,
क़मर टूट गईं हाए रे,
मै भांग ना घोटूंगी हरगिज़,
चाहे कुछ भी हो जाए रे।

ये भांग बहुत मुझे भाए रे
इसके बिन रहा ना जाये रे,
क्या बात हुई गोरा रानी
मुझको कुछ समझ ना आए रे,
कोई कहता भंगेड़ी तुमको
कोई कहता बेरागी है,
ताने सुनकर दुनिया के
तन मन में अग्नि लागी है,
मैं तो हारी समझा समझा
अब कौन तुम्हे समझाए रे,
मैं भांग ना घोटूंगी हरगिज,
चाहे कुछ भी हो जाए रे।

है कौन जरा बतला गोरा
जो मुझको भंगड़ी कहता है,
चाहे कितनी भी पी लूं में
पर होश ठिकाने रहता है,
है कान की कच्ची तु गोरा
कोई तुझको बहकाए रे,
मैं भांग ना घोटूंगी हरगिज,
चाहे कुछ भी हो जाए रे।

ना काम करो ना काज करो
हर वक़्त नशे में रहते हो,
चल भांग घोट झटपट गोरा
जब देखो येही कहते हो,
क्या भांग घोटने की खातिर
 तुम मुझको ब्याह कर लाए रे,
मैं भांग ना घोटूंगी हरगिज,
चाहे कुछ भी हो जाए रे।

हे गोरा यूं नाराज ना हो
तू मुझको बेहद प्यारी है,
चल ये ही सोच ले तू मन में,
मुझको भांग बीमारी है,
ये नशा नहीं इक दवा है
ये तन मन मे जोश जगाए रे,
मैं भांग ना घोटूंगी हरगिज,
चाहे कुछ भी हो जाए रे।
ये भांग ना घोटी जाए रे भोले,
क़मर टूट गईं हाए रे,
मै भांग ना घोटूंगी हरगिज़,
चाहे कुछ भी हो जाए रे।




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