गुरु दाता तमने दया तो करी
एजी नमो नमो गुरुदेव को,
और नमो कबीर कृपाल,
नमो संत शरणागति तो,
शक्ल पाप हुए छार।
सरवर तरवर संत जाना,
और चौथा बरसे मेघ,
परमारथ के कारने,
गुरु चारों धारी देह।
गुरु दाता तमने दया तो करी,
जी म्हारी डूबती सी नाव तीराई।
प्याला पाया गुरु नाम का जी,
आतम सेंण करी,
भाई संतो आतम सेंण करी,
जन्म जन्म को हंसों प्यासो,
हा नाम की बून्द रली।
सोहम मंत्र अजपा का कहिये,
नाभि पे निघे धरो,
भाई संतो नाभि पे निघे धरो,
सुरता हमारी लगी भजन में,
जैसे नटवा को डोर फिरे।
बिन बादल एक मेवलो बरसे,
अमृत बूंद झड़े भाई संतो,
अमृत बूंद झड़े,
पांच पचीस मिल पीवण लगा,
या अनुभव लहर चढ़ी।
साहेब कबीर मोहे,
समरथ मिलग्या,
दुविधा दूर करी,
भाई संतो दुविधा दूर करी,
धर्मदास साहेब का शरणे,
हां सांची सेंण करी।
गुरु दाता तमने दया तो करी। Guru data tamne daya jo kari | Geeta Parag Kabir
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