शंकर केदारा लिरिक्स Shankar Kedara Bhajan Lyrics Shekhar Jaiswal
गंगा जिसके जटा बिराजे,चांद जिसके सिर पे साजे,
विष का प्याला जो कंठ उतारे,
नाग भी उस कंठ में सा,
है और ना कोई वह,
शिव भोला भाला है,
है और ना कोई वह,
शंकर केदारा है।
जहां बसे हैं भोले शंकर जी,
बर्फ की चादर ओढे,
मेरा मन पल पल मेरे कदमों को,
केदारनाथ को मोड़े,
लीन ध्यान में बैठा है एक जोगी,
उस नगरी में,
अमृत झलकता है,
चरणों से भक्त,
भरे गगरी में,
कल कल बहता जो,
शीतल सी धारा है,
है और ना कोई वो,
शंकर केदारा है।
आरती गूंजे संग जय कारे मन से,
सुनते शंकर प्यारे,
नंदी बैठे द्वारपाल में,
भीम शिला तुमरे रखवाले।
सबकी सुनते हो भोलेनाथ जी,
मेरी भी बस तुझसे आस जी,
बैठ द्वारे सामने तेरे,
करनी तुझसे बात जी,
केदारनाथ जी मेरे भोले नाथ जी,
केदारनाथ जी मेरे भोले नाथ जी,
केदारनाथ जी मेरे भोले नाथ जी,
केदारनाथ जी मेरे भोले नाथ जी।