मैं सुती रह गई नी बाबा जी भजन

मैं सुती रह गई नी बाबा जी भजन

मैं सुती रह गई नी बाबा जी भजन 
पौणहारीया तेरे नाम वाली,
मैं माला लवां परो,
रखां दिल विच एहनूं मैं सांभ के,
किते मैली जावे ना हो।

मैं सुती रह गई नी बाबा जी,
मुढ़ गए सराहणियों आ के,
मुढ़ गए सराहणियों आ के,
बाबा जी मुढ़ गए सराहणियों आ के,
मैं सुती रह गई नी बाबा जी।

जद जोगी मेरे वेहड़े आया,
काल नींदर ने घेहरा पाया,
मैं सोण बैठ गई नी,
बाबा जी मुढ़ गए सराहणियों आ के,
मैं सुती रह गई नी बाबा जी।

मन मंदिर दा बूहा खोल्हिया,
हर पासे मैं ओहनों टोहलिया,
आसां दी ढेरी ढह गई नी,
बाबा जी मुढ़ गए सराहणियों आ के,
मैं सुती रह गई नी बाबा जी।

हुण मैं ढूंढां चार चुफेरा,
पता नी हुण कद लगणा फेरा,
अख रो रो बैठ गई नी,
बाबा जी मुढ़ गए सराहणियों आ के,
मैं सुती रह गई नी बाबा जी।

माड़े करम दी ऐहो निशानी,
कोलों आ के मुढ़ गए जानी,
मैं विच विचारा पै गई नी,
बाबा जी मुढ़ गए सराहणियों आ के,
मैं सुती रह गई नी बाबा जी।



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Saroj Jangir Author Admin - Saroj Jangir

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