सिया रानी का अचल सुहाग रहे

सिया रानी का अचल सुहाग रहे

सिया रानी का अचल सुहाग रहे,
राजा राम के सिर पर ताज रहे,
सियारानी का अचल सुहाग रहे।

जब तक ले शीशहि बात रहे,
गंगा जमुना की धारा बहती रहे,
राजा राम के सिर पर ताज रहे,
सियारानी का अचल सुहाग रहे।

नित कनक बिहारी बिराज रहे,
नित भरा पूरा दरबार रहे,
राजा राम के सिर पर ताज रहे,
सियारानी का अचल सुहाग रहे।

नित बन्नी रहे नित बन्ना,
नित बन्नी बन्ना में बना रहे
राजा राम के सिर पर ताज रहे,
सियारानी का अचल सुहाग रहे।

सिया रानी का अचल सुहाग रहे,
राजा राम के सिर पर ताज रहे,
सिया रानी का अचल सुहाग रहे।




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