पाप लाखों के तू हर गया बंशी वाले

पाप लाखों के तू हर गया बंशी वाले

पाप लाखों के तू,
हर गया बंसी वाले,
तो मेरे पाप से क्यों,
डर गया बंसी वाले।

डूबने वाला हूं भवसिंधु में,
कुछ देर नहीं,
क्योंकि पापों का घड़ा,
भर गया बंसी वाले,
तो मेरे पाप से क्यों,
डर गया बंसी वाले।

नाम पर तेरे ना हो कैसे,
भरोसा मुझको,
जब अजामिल सा अधम,
तर गया बंसी वाले,
तो मेरे पाप से क्यों,
डर गया बंसी वाले।

इसलिए भेंट में देता हूं,
अश्रु बिंदु तुझे,
कद्र इनकी तू भी,
कर गया बंसी वाले,
तो मेरे पाप से क्यों,
डर गया बंसी वाले।

पाप लाखों के तू,
हर गया बंसी वाले,
तो मेरे पाप से क्यों,
डर गया बंसी वाले।


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Saroj Jangir Author Admin - Saroj Jangir

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