मेरा मुझ में कुछ नहीं, जो कुछ है सो तोर, तेरा तुझको सौपता, क्या लागे है मोर, मेरा मुझ में कुछ नहीं, जो कुछ है सो तोर, तेरा तुझको सौपता, क्या लागे है मोर।
कबीरा सी कुसमुंद की, रटे प्यास प्यास, कबीरा सी कुसमुंद की, रटे प्यास प्यास, समुदय तिण का भरी गणे, स्वाति बूँद की आस, कबीर रेख सिन्दूर की, काजर दिया न जार, नैनु रमैया रामी रहा, दूजा कहाँ समाल।
जेवो एके जाणिया, तौ जाणिया सब जाण, जेवो एके जाणिया, तौ जाणिया सब जाण, जेवो एक ना जाणिया, तो सब ही जाणिया जाय, कबीर एक न जाणिया, तौ बहुजाणिया क्या होयी, एक ते सब होत है, सब ते एक न होयी।
जब लगी भगति सकामताम, तब लग निर्फल सेव, जब लगी भगति सकामताम, तब लग निर्फल सेव, कही कबीर वे क्यों मिले, निहिटाग्नि निज देह, कबीर कुता राम का, मुदिया मेरा नाम, गले राम की जेवणी, जित्त खेंचे तिथ जाऊ।
मेरा मुझ में कुछ नहीं, जो कुछ है सो तोर, तेरा तुझको सौपता, क्या लागे है मोर, मेरा मुझ में कुछ नहीं, जो कुछ है सो तोर, तेरा तुझको सौपता, क्या लागे है मोर।
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