दरद दिवाने बावरे

दरद दिवाने बावरे

दरद दिवाने बावरे,
अलमस्त फकीरा।
एक अकीदा लै रहे,
ऐसे मन धीरा।
प्रेमी पियाला पीवते,
बिदरे सब साथी।
आठ पहर यो झूमते,
ज्यों मात हाथी।
उनकी नजर न आवते,
कोइ राजा रंक।
बंधन तोड़े मोहके,
फिरते निहसंक।
साहेब मिल साहेब भये,
कछु रही न तमाई।
कहैं मलूक किस घर गये,
जहँ पवन न जाई।
 


दर्द दीवाने बावरे अलमस्त फकीरा | सन्त संदेश 25 |

Next Post Previous Post