अन्धाधुन्ध अँधियारा कोई ना जानण हारा मीनिंग

अन्धाधुन्ध अँधियारा कोई ना जानण हारा मीनिंग

इस कबीर साहेब की वाणी में अत्यंत ही गूढ़ रहस्य को बहुत ही सरल शब्दों के माध्यम से समझाया है साहेब ने। इस शब्द में जीवन का सार है, उद्देश्य है, राह और मंजिल है। मैंने इसका हिंदी अनुवाद करने की कोशिश की है, आशा है की आपको अवश्य ही पसंद आएगा अन्धाधुन्ध अँधियारा कोई ना जानण हारा मीनिंग Andhadhundh Andhiyara Lyrics Meaning सत श्री साहेब।

अन्धाधुन्ध अँधियारा कोई ना जानण हारा मीनिंग Andhadhundh Andhiyara Lyrics Meaning

सतगुरु की महिमा अनंत,
अनंत किया उपकार,
अनंत लोचन उघाड़िया,
अनंत दिखावण हार। 
 
हिंदी अर्थ : गुरु कौन है, कोई व्यक्ति या हम स्वंय के ही गुरु हैं। साहेब ने अनेकों स्थान पर वाणी दी है की जो कुछ भी है, भीतर है, बाहर केवल भटकाव है। स्वंय के द्वारा ज्ञान के अर्जन में जो अभाव है वो ही हमें बाहर की और धकेलता है, दुसरे व्यक्ति की तरफ मदद के लिए प्रेरित करता है। लेकिन यह नितांत व्यक्तिगत मामला है। इसमें कोई कुछ नहीं कर सकता है। दीपक भी हमें ही बनाना है, बाती भी, तेल भी और खुद को ही जलाकर खुद के अन्धकार को दूर करना है। कोई इसके लिए हमारी मदद नहीं कर सकता है।
कबीर साहेब ने अनेकों स्थान पर गुरु की महिमा का वर्णन किया है लेकिन उससे भी अधिक महत्त्व की बात है की कौन सच्चा गुरु है, गुरु कैसा होना चाहिए इसकी पहचान तो साधक को ही करनी होगी। साधक का मानसिक स्तर का होना ही चाहिए की वह गुरु को पहचान पाएं।
यदि हमें सच्चा गुरु मिलता है तो अवश्य ही वह जीवन के उद्देश्य को स्पष्ट कर सकता है लेकिन यह तभी संभव है जब हमारे पास इस ज्ञान को प्राप्त करने की योग्यता भी हो। अनंत के दर्शन गुरु ही करवाता है और गुरु ही नेत्रों को खोलता है।

अन्धाधुन्ध अँधियारा,
कोई ना जानण हारा।
अंधाधुंध अँधियारा,
कोई ना जानण हारा।
हिंदी अर्थ : चारों तरफ घोर अन्धकार व्याप्त है। सभी गाफिल होकर फिर रहे हैं। यहाँ कौन है जो वास्तविक ज्ञान को जानता है ? सभी लोग प्रकाश की उम्मीद लगा कर बैठे हैं ? कौन देगा इनको उजियाला ? स्पष्ट है की साहेब आगे इशारा करते हैं की हमें स्वंय खुद का उजाला बनना होगा, तभी हमें इस जीवन के रहस्य का बोध होने लगेगा।

इस घट भीतर,
बणियो रे बस्ती,
इसमें है झुण्ड पसारा,
अंधाधुंध अँधियारा,
कोई ना जानण हारा।
हिंदी अर्थ : इस घट के भीतर ही बस्ती बसी हुई है, जो फैली हुई है, इसे कौन समझे। हमारे ही अन्दर हमने अनेकों प्रकार के विषय विकारों की बस्ती बसा ली है और यह खूब फल फूल रही है। इस अन्धकार में, ज्ञान के अभाव में हमने स्वंय के लिए अनेकों मुसीबतों को आश्रय दे रखा है। कबीला, संतान, मेरा तेरा ये सभी बस्ती हैं. हमने इनको इतना फैला लिया है जिससे हम इसी में उलझ कर रह गए हैं। इस बस्ती को समाप्त करना ही होगा।

इस घट भीतर बाग़ बगीचा,
इस घट भीतर बाग़ बगीचा,
इसमें ही सींचण हारा,
अंधाधुंध अँधियारा,
कोई ना जानण हारा।
हिंदी अर्थ : हमारे ही घट (चित्त/हृदय) में बाग़ बगीचे भी हैं जिनको सींचने वाला इश्वर अन्दर ही है। इसे हम सकारात्मक उर्जा कह सखते हैं, जो की हमारे ही अन्दर व्याप्त है जैसे की चकमक पत्थर के अन्दर अग्नि व्याप्त होती है. उसे रगड़ने पर ही उसका पता चलता है. इश्वर की भक्ति के फूल, बाग़ बगीचे हैं, और इनको सींचने वाला भी अन्दर है, इसे ही जानने की जरूरत है. यदि हम प्रयत्न करें तो घट के अँधेरे को दूर कर पाएंगे और पायेंगे की जिसको हम बाहर ढूंढ रहे हैं वह अन्दर ही है। उसे देख लेने के उपरान्त फिर कहीं देखने की आवश्यकता नहीं रहती है और साधक फिर कहीं देखना भी नहीं चाहता है, सत्य तो यह की कहीं देखने की आवश्यकता शेष ही नहीं रहती है। ऐसी स्थिति में साधक ना तो कुछ बोलता है और नाहीं बोलने में उसे कुछ प्रयोजन ही लगता है.

इस घट रे भीतर,
सोना रे चाँदी,
इस घट रे भीतर,
सोना रे चाँदी,
इसमें ही लगा है बाजरा (बाज़ार )
कोई ना जानण हारा,
अंधाधुंध अँधियारा,
कोई ना जानण हारा।
हिंदी अर्थ : इस घट के भीतर ही सोना और चांदी है, यहीं पर हाट जमी है। सच्चा सौदा करने वाला तो सौदा कर लेता है और मूर्ख/अज्ञानी बाजार में घूम फिर कर वापस वहीँ पर आ जाता है, जहाँ से वह चला था। इस सोने चांदी को पहचानने की आवश्यकता है, यदि इसे जान लिया तो भौतिक सोना चांदी पत्थर ही है। मानव जीवन एक तरह का हाट है. जैसे हाट में भाँती भाँती की वस्तुएं होती हैं, कई हट्टी (दुकानें) होती हैं, जिसकी जैसी प्रवृति होती है वह वैसी ही दूकान पर जाकर अपना सौदा करता है. लेकिन ज्ञानी व्यक्ति जीवन के मतःव को समझकर अपने स्वामी की भक्ति का सौदा करता है. भक्ति का सौदा करने के उपरान्त किसी भी तुच्छ सांसारिक सौदे की आवश्यकता उसे नहीं रहती है.


इस घट रे भीतर,
हीरा रे मोती,
इस घट रे भीतर,
हीरा रे मोती,
इसमें ही परखणहारा,
कोई ना जानण हारा,
अंधाधुंध अँधियारा,
कोई ना जानण हारा।
हिंदी अर्थ : इस घट में हीरे और मोती बिखरे पड़े हैं, इन्हें ज्ञान के प्रकाश में पहचाना जा सकता है। इनको पहचानने के उपरान्त किसी अन्य वस्तु के संग्रह की आवश्यकता स्वतः ही समाप्त हो जाती है। खुद को ही इस काबिल बनाना है की हम परख कर सके की अन्दर क्या अमूल्य है ?

इस घट रे भीतर,
सात समंदर,
इस घट रे भीतर,
सात समंदर,
कोय मीठा कोय खारा,
कोई ना जानण हारा,
अंधाधुंध अँधियारा,
कोई ना जानण हारा।
हिन्द अर्थ : इस घट के अन्दर खारा और मीठा समुद्र है। खारे को और मीठे को ज्ञान के माध्यम से पहचानना होगा। ज्ञानी व्यक्ति मीठे को पहचान पाने में समर्थ होता है. अज्ञानी खारे को मीठा समझता है.

इस घट भीतर,
सूरज चंदा,
इस घट भीतर,
सूरज चंदा,
इसमें ही नो लख तारा,
कोई ना जानण हारा,
अंधाधुंध अँधियारा,
कोई ना जानण हारा।
हिंदी अर्थ : इसी घट के अन्दर अनंत प्रकाश भी है जिसे जानने की इच्छा रखने वाला जान सकता है। यह व्यक्तिगत प्रयत्न की बात है। साधक जितनी मेहनत इसको जानने में लगाता है उतना ही यह प्रकाशित होता जाता है।

इस घट भीतर,
बीजली रे चमके,
इस घट भीतर,
बीजली रे चमके,
नित नित करे रे उजियारा,
कोई ना जानण हारा,
अंधाधुंध अँधियारा,
कोई ना जानण हारा।
हिंदी अर्थ : इस अन्धकार में समय समय पर बिजली चमकती रहती है। इस उजियारे को जो संजो कर रख लेता है, वह फिर कभी अन्धकार में दुबारा नहीं जाता है।

इस घट रे भीतर,
मथुरा रे काशी,
इसमें ही गंगा की धरा,
कोई ना जानण हारा,
अंधाधुंध अँधियारा,
कोई ना जानण हारा।  
हिंदी अर्थ : तीर्थ करने के लिए कहाँ जाएं जब इस घट के अन्दर ही मथुरा और काशी है, इसी के अन्दर गंगा की पवित्र धारा बहती है.
इस घट भीतर,
देवी देवता,
इस घट भीतर,
देवी देवता,
इस में ही है ठाकुर द्वारा,
कोई ना जानण हारा,
अंधाधुंध अँधियारा,
कोई ना जानण हारा।

हिद्नी अर्थ : बाहर कहीं पर कोई देवी देवता को ढूँढने के स्थान पर अपने हृदय में जब व्यक्ति देखता है, खोजता है तो सभी देवी देवता अन्दर ही बैठे पाता है। जो सकारात्मक है वही देवता बनकर अन्दर बैठा हुआ मिलता है।

इस घट भीतर,
रिद्धि रे सिद्धि,
इस घट भीतर,
रिद्धि रे सिद्धि,
इसमें है भंडारा,
कोई ना जानण हारा,
अंधाधुंध अँधियारा,
कोई ना जानण हारा। 
हिंदी अर्थ : अमूल्य वस्तुओं का भंडार/खजाना इस घट के अंदर बिखरा पड़ा है, कोई इसे एकत्रित करे. सभी शुभ वस्तुएं इसी घट के अन्दर ही हैं.
 
 
इस घट भीतर,
अनहद बाजे,
इसमें ही अमृत धारा,
कोई ना जानण हारा,
अंधाधुंध अँधियारा,
कोई ना जानण हारा। 
हिंदी अर्थ : ब्रह्मनाद इस घट में बज रहा है, चेत कर साधक को इसे सुनना चाहिए, यही अमृत की धारा है जो मुक्ति का द्वार है. 
 
कहत है कबीरा,
सुनों गुणी साधो,
इसमें है सतगुरु हमारा,
कोई ना जानण हारा,
अंधाधुंध अँधियारा,
कोई ना जानण हारा।

हिंदी अर्थ : जब साधक समय लगाता है खुद की खोजबीन करने में तो अपने सद्गुरु को अपने ही अन्दर पाता है जो उसे राह दिखाता है। 
 
भजन श्रेणी : कबीर भजन (Read More : Kabir Bhajan) 


संत कबीर के शब्द #andha dhund andhiyara kabir shabad by bhakat ramniwas
 
Sataguru Ki Mahima Anant,
Anant Kiya Upakaar,
Lochan Anant Ughaadiya,
Anant Dikhaavan Haar.

ऐसे ही अन्य भजन देखने के लिए कृपया होम पेज पर अवश्य विजिट करें। 
 
आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
Next Post Previous Post