एक जनक दुलारी सीता उसने भी धोखा खाया लिरिक्स Ek Janak Dulari Lyrics
एक जनक दुलारी सीता उसने भी धोखा खाया लिरिक्स Ek Janak Dulari Lyrics
झूठी है जग की माया,तोते से बोली मैना,
गैरों से मतलब क्या है,
अपनों से बच कर रहना।
एक राम अवध के राजा,
उसने भी धोखा खाया,
वो मैया भी अपनी थी,
जिसने वनवास दिलाया।
एक प्रेम दीवानी मीरा,
उसने भी धोखा खाया,
वह राणा भी अपना था,
प्याले में जहर मिलाया।
एक द्रोपति नारी अबला,
उसने भी धोखा खाया,
वह देवर भी अपना था,
भरी सभा में उतारा।
एक जनक दुलारी सीता,
उसने भी धोखा खाया,
वह पति भी तो अपना था,
जिसने वन वन भटकाया।
एक ऋषि पत्नी थी अहिल्या,
उसने भी धोखा खाया,
वह पति भी तो अपना था,
जिसने पत्थर का बनाया।
एक था अभिमानी रावण,
उसने भी धोखा खाया,
यह भैया भी अपना था,
जिसने सारा भेद बताया।