थोड़ा देता है या ज्यादा देता है भजन

थोड़ा देता है या ज्यादा देता है भजन

 
थोड़ा देता है या ज्यादा देता है भजन

थोड़ा देता है या ज्यादा देता है,
हमको तो जो कुछ भी देता है,
बाबा देता है थोड़ा देता है,
या ज्यादा देता है।

हमारे पास जो कुछ भी है,
इसी की है मेहरबानी,
हमेशा भेजता रहता,
कभी दाना कभी पानी,
थोड़ा देता है या ज्यादा देता है,
हमको तो जो कुछ भी देता है,
बाबा देता है थोड़ा देता है,
या ज्यादा देता है।

हमेशा भूखे उठते हैं,
कभी भूखे नहीं सोते,
भला तकलीफ हो कैसे,
हमारे श्याम के होते,
थोड़ा देता है या ज्यादा देता है,
हमको तो जो कुछ भी देता है,
बाबा देता है थोड़ा देता है,
या ज्यादा देता है।

दीया जो श्याम बाबा ने,
कभी कर्जा नहीं समझा,
दयालु श्याम ने हमको,
हमेशा अपना ही समझा,
थोड़ा देता है या ज्यादा देता है,
हमको तो जो कुछ भी देता है,
बाबा देता है थोड़ा देता है,
या ज्यादा देता है।

हमने बनवारी हरदम ही,
बड़े अधिकार से मांगा,
खुशी से इसने दे डाला,
जो भी दातार से मांगा,
थोड़ा देता है या ज्यादा देता है,
हमको तो जो कुछ भी देता है,
बाबा देता है थोड़ा देता है,
या ज्यादा देता है।

थोड़ा देता है या ज्यादा देता है |Thoda Deta Hai Ya Jyada Deta Hai | Khatu Shyam Bhajan | Bhajan |

⭐Song : Thoda Deta Hai 
⭐Singer : Upasana Mehta
⭐Lyrics : Traditional

यहाँ प्रश्न नहीं, स्वीकार है; शिकायत नहीं, शांति है। “थोड़ा देता है या ज़्यादा देता है” केवल शब्द नहीं, जीवन-दर्शन हैं — यह स्वीकार कि जो भी मिलता है, वही प्रसाद है। यह मन कहता है — देने वाला जब श्याम है, तो देने की मात्रा का क्या मोल? जो दिया गया है, वही अनमोल है, क्योंकि वह कृपा से मिला है, अधिकार से नहीं।

यह भाव यह भी दिखाता है कि सच्ची संतुष्टि बाहरी वस्तुओं में नहीं, बल्कि इस विश्वास में है कि हमें जो मिला है, उसी में दैवी योजना छिपी है। जो मन श्याम के नाम में रम गया, उसे कभी कमी का अनुभव नहीं होता। “हमेशा भूखे उठते हैं, कभी भूखे नहीं सोते” — इसमें वह आत्मिक पूर्णता है जो संसार की अस्थायी भूख से बहुत परे है। यही तो भक्ति का चरम बिंदु है, जब भक्त अपने अनुभव से यह कह उठता है कि श्याम ने जो दिया — चाहे थोड़ा हो या अधिक — वह सदैव प्रेम से भरा है, और प्रेम का माप कभी घटता नहीं। ऐसे भाव में जीवन का भार हल्का हो जाता है, और हृदय में बस एक ही सत्य गीत रह जाता है — “बाबा देता है… थोड़ा देता है या ज़्यादा देता है।” 

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