अपने ही कर्मों का दोष लिरिक्स Apne Hi Karmo Ka Dosh Lyrics
अपने ही कर्मों का दोष लिरिक्स Apne Hi Karmo Ka Dosh Lyrics
अपने ही कर्मों का दोष,पिताजी काहे को ब्याह दई विदेश,
अपने ही कर्मों का दोष,
पिताजी काहे को ब्याह दई विदेश।
जब रे पिताजी मेरा जन्म हुआ था,
मैया पड़ी बेहोश,
पिताजी काहे को ब्याह दई विदेश।
जब रे पिताजी मेरी छठी पूछी थी,
दिवला जले सारी रात,
पिताजी काहे को ब्याह दई विदेश।
जब रे पिताजी मेरी लगून लिखी थी,
सखियों के नैनों में नीर,
पिताजी काहे को ब्याह दई विदेश।
जब रे पिताजी मेरी पड़ी रे भमरिया,
पंडित पढ़े वेद मंत्र,
पिताजी काहे को ब्याह दई विदेश।
जब रे पिताजी मेरी डोली सजी थी,
भैया के नैनों में नीर,
पिताजी काहे को ब्याह दई विदेश।
जब रे पिताजी मेरी हुई विदाई,
मैया ने खाई पछाड़,
पिताजी काहे को ब्याह दई विदेश।
जब डोली बागों में पहुंची,
कोयल ने बोले बोल,
पिताजी काहे को ब्याह दई विदेश।
तू क्यों बोले वन की कोयलिया,
छोड़ा बाबुल का देश,
पिताजी काहे को ब्याह दई विदेश।
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