मैं जब जानू मेरे बालाजी हनुमान भजन

मैं जब जानू मेरे बालाजी हनुमान भजन

 
मैं जब जानू मेरे बालाजी हनुमान भजन

मैं जब जानू मेरे बालाजी,
जब होवे सगाई मेरे लाला की,
मैं जब जानू मेरे बालाजी,
जब होवे सगाई मेरे लाला की।

तेरे धाम पर ज्योत जलाऊंगी,
मैं बहू बेटे को लाऊंगी,
मेरे घर होवे खुशियां सारी,
जब होवे सगाई मेरे लाला की।

मैं पढ़ू चालीसा दिन राती,
अब मुझको नींद नहीं आती,
तेरी जपती मैं माला जी,
जब होवे सगाई मेरे लाला की।

मेरे घर में दीपक जब आवे,
अंगना में पलना डल जावे,
पोतौ को गोद खिलाऊंगी,
जब होवे सगाई मेरे लाला की।

मैं घर में सत्संग कराऊंगी,
और भक्त मंडली बुलाऊगी,
हमें दरस दिखाना बालाजी,
जब होवे सगाई मेरे लाला की।


बालाजी_भजन | मैं जब जानू मेरे बालाजी जब होवै सगाई मेरे लाला की | Balaji Bhajan In Ladies Kirtan
 
भक्ति का यह भाव एक माँ के हृदय से निकला है, जो अपने प्रिय पुत्र के विवाह के लिए प्रभु बालाजी से प्रार्थना करती है। यह एक ऐसी पुकार है, जिसमें ममता, विश्वास और समर्पण का संगम है। भक्त माँ प्रभु के चरणों में अपने परिवार की सुख-समृद्धि और मंगलकामना के लिए अर्पण करती है। वह अपने घर में खुशियों की कल्पना करती है, जहाँ विवाह के शुभ अवसर पर दीप जलाए जाएँगे, भक्ति का वातावरण बनेगा और परिवार में नई शुरुआत होगी। यह प्रार्थना केवल एक घटना की कामना नहीं, बल्कि उस विश्वास को दर्शाती है कि प्रभु की कृपा से हर शुभ कार्य पूर्ण होता है। भक्त का यह संकल्प कि वह प्रभु की भक्ति में लीन रहेगी, उनके धाम पर ज्योत जलाएगी और भक्तों का संग करेगी, यह दर्शाता है कि उसका जीवन प्रभु के प्रति पूर्ण समर्पण और श्रद्धा से भरा है।
 
हनुमान जी को बालाजी के नाम से भी जाना जाता है, विशेषकर उत्तर भारत में, जहाँ उन्हें इसी नाम से बड़े भक्ति भाव से पूजा जाता है। यह नाम उनके बल और शक्ति का प्रतीक है, क्योंकि 'बल' का अर्थ शक्ति होता है और 'बालाजी' का अर्थ 'बलशाली भगवान' है। राजस्थान में स्थित सालासर बालाजी और मेहंदीपुर बालाजी जैसे प्रसिद्ध मंदिर इस बात के प्रमुख उदाहरण हैं कि किस तरह हनुमान जी को बालाजी के रूप में पूजा जाता है। इन स्थानों पर, भक्त उन्हें संकटमोचन और बल के देवता के रूप में पूजते हैं और मानते हैं कि वे उनकी सभी समस्याओं का समाधान करते हैं। इस तरह, बालाजी का नाम भगवान हनुमान की अपार शक्ति, साहस और भक्तों के प्रति उनकी असीम दया का ही दूसरा रूप है। 
 
राजस्थान के मेहंदीपुर बालाजी मंदिर उनकी सिद्धपीठ के रूप में विश्वविख्यात है, जहाँ हजारों श्रद्धालु रोग, भय, नकारात्मक शक्तियाँ और मानसिक कष्टों से मुक्ति पाने के लिए दर्शन करते हैं। बालाजी महाराज के मंदिरों में होने वाली पूजा-विधियाँ, आरती और विशेष "संकट मोचन" अनुष्ठानों का अत्यधिक महत्व है। ऐसा विश्वास है कि बालाजी की भक्ति से भूत-प्रेत बाधा, असाध्य रोग और जीवन के बड़े-बड़े संकट दूर हो जाते हैं, क्योंकि वे अनन्य दयालु, शक्ति व न्याय के देवता हैं। 

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