शिव तो ठहरे सन्यासी गोरा पछताओगी

शिव तो ठहरे सन्यासी गोरा पछताओगी शिव भजन

 
शिव तो ठहरे सन्यासी गोरा पछताओगी शिव भजन

शिव तो ठहरे सन्यासी,
गोरा पछताओगी,
भोला योगी संग कैसे,
अरे जिंदगी बिताओगी,
शिव तो ठहरे सन्यासी,
गोरा पछताओगी।

ऊँचे ऊँचे पर्वत पर,
शिव जी का डेरा है,
नंदी की सवारी गौरा,
कैसे कर पाओगी,
शिव तो ठहरे सन्यासी,
गोरा पछताओगी।

आगे ना कोई पीछे,
गौरा तेरे दूल्हे के,
दिलवाला हाल गौरा,
अरे किसको सुनाओगी,
शिव तो ठहरे सन्यासी,
गोरा पछताओगी।

महलों में पली गौरा,
राज दुलारी बनकर,
शिव जी को भंग घोटकर,
कैसे पिलाओगी,
शिव तो ठहरे सन्यासी,
गोरा पछताओगी।

गौरा बोली सखियों से,
अरी तुम क्या जानो री,
जैसा वर पाया मैंने,
वैसा तुम क्या पाओगी,
शिव तो ठहरे सन्यासी,
गोरा पछताओगी।

शिव तो ठहरे सन्यासी,
गोरा पछताओगी,
भोला योगी संग कैसे,
अरे जिंदगी बिताओगी,
शिव तो ठहरे सन्यासी,
गोरा पछताओगी।


भजन जिसे सुनकर दिल खुश हो जाये | Shiv To Thahre Sanyaasi |

एक ओर शिव की सन्यासी जीवनशैली है, जो पूर्ण रूप से त्याग, तपस्या, और एकांगी साधना में लीन है, और दूसरी ओर गौरा का सांसारिक जीवन, जो महलों में पली बढ़ी है, जहाँ सांसारिक सुख और भोग अधिक हैं। यह भजन इस भेद को दर्शाता है कि कैसे शिव की असाधारण शांति और योगी जीवनशैली के सामने सांसारिक जीवन के विलासिता और मोह माया की पारंपरिक सोच असफल हो जाती है।

Singer : Mukesh Kumar Meena

भजन में शिव को भोला योगी बताकर उनकी सरलता, ममता और महान योग शक्ति का उल्लेख किया गया है, जो नंदी की सवारी के रूप में उनकी प्रतिष्ठा को मजबूत करता है। गौरा को उस संसार की प्रतीक के रूप में दिखाया गया है, जो सांसारिकता और भोग विलास में डूबी है। भजन में यह भी कहा गया है कि जैसे शिव की तपस्या अपरिवर्तनीय और अडिग है, वैसे गौरा जो सांसारिक जीवन में उलझी है, वह पछताएगी क्योंकि जीवन के सच्चे अर्थ से अनभिज्ञ है। 

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