ॐ नमः शिवाय रामाय नमः, शिवो रामो अभेद आत्मा, भावे भजतां सदा प्रिय:, हर हर महादेव राम राम, शिवरामाय नमो नमः।
करते मुख से सुख की वर्षा, राम शिव को जपते हैं, शिव बिन संसार कुछ भी नहीं, भीतर शिव नृत्य करते हैं।
शब्द नहीं बस नाद गूंजता, जब राम मौन में बैठते हैं, कण कण में तब महाकाल, हर धड़कन में लय रचते हैं।
ना जप ना तंत्र ना मंत्र वहां, बस ध्यान की एक लकीर, जहां राम दृष्टि फेरते हैं, वहीं शिव रचते तस्वीर।
ना जटा ना गंगाधर, ना रूपों में वो बंधते हैं, पर हर प्रेमी की आत्मा में, शिव मौन से प्रकट होते हैं।
जब श्वास थमे और मन रुके, तब भीतर उठे प्रकाश, तब समझ पड़े शिव राम में हैं, और राम में शिव की आस।
शिव और राम एक ही परमात्मा के अभिन्न रूप हैं जो हमें सदा प्रिय हैं। सच्चे भाव से नाम जपने पर भीतर सुख और शांति की अनुभूति होती है। राम के मौन में शिव की नाद गूंजती है। हर कण में महाकाल की उपस्थिति है। साधना में तंत्र मंत्र आवश्यक नहीं है। बस एकाग्र ध्यान से ही शिव की अनुभूति होती है। शिव रूपों से परे हैं। वे प्रेमियों के हृदय में मौन रूप से प्रकट होते हैं।
Shiv Ram Bhajan | शिव और राम एक हैं? | Powerful Devotional Song on Mahakal & Shri Ram | Radhe Radhe
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शिव और राम एक ही परम सत्य के दो रूप हैं, जो भक्त के हृदय में प्रेम और शांति का सागर बहाते हैं। उनके नाम का जाप करने से मन सुख की वर्षा में भीग उठता है, जैसे हर श्वास में दिव्य नाद गूंजता हो। राम का मौन और शिव का नृत्य एक ही सत्य को रचते हैं—हर कण में महाकाल की लय, हर धड़कन में उनकी उपस्थिति।
साधना में न तंत्र चाहिए, न मंत्र; बस एकाग्र मन की लकीर, जहाँ राम की दृष्टि पड़े, वहाँ शिव सृष्टि की तस्वीर रचते हैं। वे जटा या गंगा के रूपों में नहीं बंधते, बल्कि प्रेमी के हृदय में मौन की भाषा बोलते हैं। जब श्वास थमती है और मन स्थिर होता है, तब भीतर प्रकाश जगता है—शिव में राम और राम में शिव का मिलन दिखता है। यह भक्ति हमें सिखाती है कि सच्चा जाप वही है, जो मन को परमात्मा के रंग में रंग दे। हर हर महादेव, राम राम।
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