जयकारो गूंजे रे लखदातार को

जयकारो गूंजे रे लखदातार को

श्याम श्याम मैं रटूं,
जो नाम जपे सो पाए,
अंतकाल जो नाम ले,
वो श्याम चरण में समाये।

खाटू जी में श्याम धणी को,
मंदिर बन गयो जोर को,
श्याम धणी तो बांधे राखे,
भक्तों की डोर को,
जयकारो गूंजे रे,
खाटू के राजा श्याम को,
जयकारो गूंजे रे,
हो लखदातार को।

जबसे देखा तुझे बाबा,
मैं हो गया श्याम दीवाना,
मुझे नज़र अब कुछ ना आये,
अब तू ही तो मुझे भाये,
मेरो मन भा गयो रे,
यु खाटू धाम रे,
जयकारो गूंजे रे,
हो लखदातार को।

जबसे मैंने होश संभाला,
बस तेरा नाम पुकारा,
दरकार पड़ी ना जगत की,
बस तेरा साथ है भाया,
मैं तो शीश नवाऊँ रे,
जी लखदातार को,
जयकारो गूंजे रे,
हो लखदातार को।

तू तो दानी है सांवरिया,
मेरा श्याम तू ही खिवैया,
जब जब बाबा मैं हारा,
बस तूने ही दिया है सहारा,
नीले चढ़ आ गयो रे,
जी म्हारा सांवरा,
जयकारो गूंजे रे,
हो लखदातार को।

ना काल घेर मुझे पाए,
आने से भी घबराये,
मैं बेटा श्याम धणी का,
मुझे कोई सत्ता नहीं पाए,
भगति में रम जाऊं रे,
श्याम सरकार को,
जयकारो गूंजे रे,
हो लखदातार को।

आर्या  गावे श्याम धणी की,
प्यारी महिमा भारी जी
भजती जाए जय श्री श्याम,
सुबह शाम दिन राति जी
श्याम धणी कह दे,
ओ म्हारी लाड़ली,
श्याम धणी कह दे,
ओ म्हारी लाड़ली।
 


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